एक दौर में LGBTQ अधिकारों पर काम करने वालीं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी किन्नर अखाड़ा की प्रमुख हैं. प्रयागराज के कुंभ में उनके टेंट में आम और खास, दोनों तरह के लोग भारी संख्या में आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं. वह ज्यादातर लोगों को आशीर्वाद के साथ अक्षत और एक रुपये का सिक्का देती हैं. (सभी फोटोज- निमाई दास)
अपने टेंट में भक्तों के सामने आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी धर्म की खूब बातें करती हैं और मिलने पर लोगों को ‘जय महाकाल’ कहती हैं. उनके पास दो आई फोन और एक बेसिक फोन रखा होता है. कई बार लगातार उन्हें एक के बाद एक फोन आ रहे होते हैं.
लक्ष्मी अपने भक्तों के साथ खुद ही फोन हाथ में लेकर सेल्फी भी क्लिक करती हैं और अच्छे पोज देने को भी कहती हैं. लोग जाने से पहले उनके सामने दक्षिणा भी रखते हैं. ज्यादातर 10-20 से लेकर 500 रुपये तक के नोट.
उम्रदराज महिला से लेकर नए-नए इश्क करने वाले लड़के-लड़कियां, ठेकेदार से लेकर सीआईएसएफ अफसर, आशीर्वाद लेने के लिए हर कोई लक्ष्मी के पास आते हैं. वह कई लोगों से गले मिलती हैं. कई लोग अपना दर्द बताते हुए रोते हैं तो वह उन्हें चुप कराने लगती हैं. एक युवती की आंखों से आंसू भी पोछती हैं.
कई लोग लक्ष्मी के पैरों पर सिर झुकाते हैं. अपनी-अपनी मुश्किलों का हल ढूंढने आए कई लोगों को वह दोबारा भी बुलाती हैं. कई औरत बच्चा नहीं होने पर भी लक्ष्मी के पास पहुंचती हैं.
लक्ष्मी कुछ इस तरह बाते करती हैं- "कहां से आए हो? मुरारी बापू, केम छो?
फोटो अच्छी नहीं आएगी, स्माइल करो चलो.
कहां जैबू है बहिनिया, काहे
Let me first finish with the kids. They have been waiting for long.
मैं आ जाऊंगी रे घर पर, बहुत मारूंगी
Hi darling, एक फ्लाइंग किस तो दे जा, तू गर्लफ्रेंड को ही देना."
हर भक्त पैसे चढ़ाता, ऐसा नहीं है. एक भक्त करीब 5 किलो संतरे लेकर भी पहुंचता है. मुरारी बापू के पास पहुंचे कई भक्त भी लक्ष्मी के भक्त हैं. लक्ष्मी मुरारी बापू को पिता जैसे बताती हैं.