कभी गुजरात में भुज के मशहूर स्वामीनारायण मंदिर में पुजारी रहे नरेंद्र रावल आज अरबपति बिजनेसमैन है. हाल ही में केन्या में उनकी आत्मकथा, 'गुरु ए लांग वॉक टु सक्सेज' लांच हुई है.
एक पुजारी से लेकर अरबपति बिजनेसमैन बनने के सफ़र के बारे में नरेंद्र रावल ने अपनी किताब में बताया है. अफ्रीका में गुरु के नाम से पहचाने जाने वाले नरेंद्र जब भारत से केन्या गए तो उन्होंने स्टील फैक्ट्री में वर्कर के रूप में काम शुरू किया.
इसके बाद कामयाबी तक पहुंचने में हस्तरेखा और ज्योतिष ने अहम् रोल अदा किया. उन्होंने बताया कि वर्ष 1983 में केन्या के तत्कालीन राष्ट्रपति डेनिअल अरप मोई के साथ नाकुरु में उनकी मुलाकात हुई, जिसके बाद वो केन्या में बसे.
जब रावल ने अपनी खूबी हस्तरेखा और ज्योतिष में बताई तो उन्हें पहली बार स्टेट हाउस में आने का आमंत्रण दिया गया.
समय के साथ उनके राष्ट्रपति मोई और किबकी से रिश्ते बेहतर होते गए और वो उनके राजनीतिक सलाहकार भी बन गए.
उन्होंने किताब में बताया कि भारतीय ज्योतिष में रूचि और सटीक भविष्यवाणी ने उन्हें कई राजनेताओं में लोकप्रिय बना दिया. ख़ास बात तो यह कि उनकी किताब के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपना संदेश भेजा है.
मूल रूप से गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले के माथक के रहने वाले नरेंद्र रावल वैसे तो देवकी ग्रुप ऑफ कंपनीज के चेयरमैन हैं.
उनका कारोबार मुख्यतः स्टील और सीमेंट का है, जो कई अफ्रीकी देशों में फैला हुआ है.
उनकी नेटवर्थ 4 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है. हाल ही में फोर्ब्स मैग्जीन ने उन्हें अफ्रीका के सबसे धनी लोगों में शामिल किया था.