भारत और इंग्लैंड के बीच दूसरा सेमीफाइनल मैच खेला जा रहा है. इस मैच को जीतने वाली टीम फाइनल में पाकिस्तान के भिड़ेगी. हम बात कर रहे मैच में थर्ड अंपायर की. क्रिकेट मैच में कई ऐसे मौके आते हैं, जब फील्ड अंपायर के लिए फैसला लेना मुश्किल हो जाता है. जब भी LBW या कैच आउट का करीबी मामला होता है, तो थर्ड अंपायर को याद किया जाता है. थर्ड अंपायर दोनों फील्ड अंपायर की फैसला लेने में मदद करता है. मगर सवाल ये है कि वो ऐसा कैसे करता है.
दरअसल, इस काम में थर्ड अंपायर कई डिवाइसेस की मदद लेता है. इन डिवाइसेस में थर्ड अंपायर का कैमरा जिसे Hawk Eye कहते हैं, Hot Spot, Snickometer और Stump microphone शामिल हैं.
इन डिवाइसेस की मदद से किसी भी मैच में अंपायर के लिए विकेट से जुड़े फैसले लेना आसान हो जाता है. ये सभी इक्विपेमेंट कई तरीकों से मैच के फैसलों में मदद करते हैं. आइए जानते हैं इनकी डिटेल्स.
वहीं कई बार आपको ऐसे वीडियो भी देखे होंगे, जो जिसमें आपको स्टंप के पीछे चल रही बातचीत की आवाज आती है. वैसे तो इन वीडियोज का मकसद एंटरटेनमेंट होता है. खौर एंटरटेनमेंट के अलावा ये डिवाइस अंपायर की काफी मदद करता है.
ऐसी आवाज को रिकॉर्ड करने के लिए एक माइक्रोफोन इस्तेमाल होता है, जो स्टंप में लगा होता है. इसे स्टंप माइक्रोफोन या स्टंप माइक कहते हैं. इस माइक्रोफोन को क्रिकेट स्टंप में इम्बेड किया जाता है.
स्टंप माइक्रोफोन को 1970 में Kerry Packer ने वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट के लिए विकसित किया था. शुरुआत में इसका इस्तेमाल एंटरटेनमेंट के लिए किया जाता था, लेकिन बाद में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल क्रिकेट से जुड़े फैसले लेने में होने लगा. इसकी वजह से पिच पर अपशब्दों के इस्तेमाल को रोकने में मदद मिलती है. खासकर विकेटकीपर और बैट्समैन के बीच.
क्रिकेट में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कई मुश्किल फैसलों के संबंध में होता है. मसलन बैट से बॉल टच हुई है या नहीं. या फिर बॉल बैट से पहले पैड पर लगी है. ऐसी कई परिस्थितियों में यह डिवाइस बड़े ही काम का साबित होता है.
स्टंप माइक की तरह ही Snickometer भी अंपायर की काफी मदद करता है. इसका इस्तेमाल साउंड और वीडियो को ग्राफिक में एनालाइज करने के लिए किया जाता है.
यह गैजेट करीबी मामलों को हल करने में अंपायर की काफी मदद करता है. इसे Allan Plaskett ने 1990 के मध्य में तैयार किया था. इसकी मदद से थर्ड अंपायर स्लो मोशन में टेलीविजन रिप्ले करता है, जिससे पता चलता है कि क्रिकेट बॉल और बैट एक दूसरे टच हुए हैं या नहीं. साथ में इसका एक ग्राफिक भी चल रहा होता है.
Hawk-Eye के नाम से आप इसके काम को समझ सकते हैं. ये डिवाइस थर्ड अंडायर की वो आंख होता है, जिसकी बदौलत क्रिकेट मैच में कई बड़े फैसले होते हैं. वैसे तो इसका इस्तेमाल सिर्फ क्रिकेट में नहीं बल्कि कई स्पोर्ट्स में होता है. Hawk-Eye सिस्टम सोनी का है, जिसे Paul Hawkins ने विकसित किया था. इस सिस्टम में 6 (कभी-कभी सात) हाई-परफॉर्मेंस कैमरे लगे होते हैं, जो अलग-अलग ऐंगल से बॉल पर नजर बनाए रखते हैं.
क्रिकेट में कई मौकों पर आपने Hot Spot का इस्तेमाल देखा होगा. यह एक इंफ्रारेड सिस्टम होता है, जिसका इस्तेमाल ये चेक करने के लिए होता है कि बॉल बैट्समैन के पैड या बैट पर टच हुई है या नहीं. टीवी पर आपने कई बार इस टेक्नोलॉजी को देखा होगा. थर्ड अंपायर के कई फैसलों में यह डिवाइस मदद करता है.