सरकार टेलीकॉम इंडस्ट्री के एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है. इसके तहत स्मार्टफोन कंपनियों को बेहतर निगरानी के लिए हमेशा सैटेलाइट लोकेशन ट्रैकिंग ऑन करने के लिए बाध्य किया जा सकता है. टेलीकॉम इंडस्ट्री के इस प्रस्ताव का सैमसंग, ऐपल और गूगल ने विरोध किया है.
इन कंपनियों ने प्राइवेसी चिंताओं की वजह से इस प्रस्ताव का विरोध किया है. रॉयटर्स ने ये जानकारी ईमेल, डॉक्यूमेंट्स और सूत्रों के हवाले से दी है. ये जानकारी ऐसे समय पर सामने आई है, जब सरकार को संचार साथी ऐप को लेकर भारी विरोध का सामना करना पड़ा है.
दरअसल, जांच एजेंसियों को कानूनी मामलों में जरूरत पड़ने पर किसी शख्स की प्रीसाइज लोकेशन नहीं मिलती है. मौजूदा सिस्टम में फर्म्स सेल्यूलर टावर का डेटा इस्तेमाल करके उस एरिया की जानकारी दे पाती हैं. जांच एजेंसियों को जरूरत के वक्त सटीक लोकेशन नहीं मिलती हैं और जो लोकेशन मिलती है, उसे दूर से ही बंद किया जा सकता है.
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इसके बाद COAI (सेल्यूलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया) ने एक प्रस्ताव रखा है. COAI रिलायंस जियो और भारती एयरटेल को रिप्रेजेंट करता है. इस प्रस्ताव के हिसाब से अगर सरकार आदेश देती है, तो स्मार्टफोन मेकर्स को A-GPS टेक्नोलॉजी एक्टिवेट करनी होगी. ये टेक्नोलॉजी सैटेलाइट सिग्नल्स के साथ सेल्यूलर डेटा भी इस्तेमाल करती है.
इसकी वजह से स्मार्टफोन्स में लोकेशन सर्विसेस को हमेशा एक्टिव रखना होगा और यूजर इसे ऑफ नहीं कर सकेंगे. गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट और ऐपल ने इसका विरोध किया है. ICEA (इंडियन सेल्यूलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन) ने कहा है कि डिवाइस लेवल ट्रैकिंग दुनिया में कही भी इस्तेमाल नहीं होती है. ICEA गूगल और ऐपल दोनों को रिप्रेजेंट करता है.
इस मामले में स्मार्टफोन इंडस्ट्री के टॉप एग्जीक्यूटिव्स के साथ गृह मंत्रालय की एक बैठक शुक्रवार को होनी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया है. इस मामले में किसी कंपनी ने आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा है. ये पूरा मामले ऐसे वक्त पर आया है, जब सरकार को संचार साथी मामले में विरोध का सामना करना पड़ा है.
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इस हफ्ते की शुरुआत में संचार साथी ऐप को लेकर डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन एक नोटिफिकेशन जारी किया था. इस नोटिफिकेशन में तमाम स्मार्टफोन मेकर्स से भारत में बिकने और इस्तेमाल होने वाले फोन्स में संचार साथी ऐप को प्री-इंस्टॉल करने के लिए कहा गया था.
यहां तक की जो फोन इस्तेमाल हो रहे हैं, उनमें भी OTA अपडेट के जरिए इस ऐप को इंस्टॉल करने के लिए कहा गया था. हालांकि, विरोध बढ़ने पर सरकार ने सफाई दी कि ये ऐप मैंडटरी नहीं है और इसे कभी भी डिलीट किया जा सकेगा. बाद में प्री-इंस्टॉल वाले नोटिफिकेशन को वापस ले लिया गया.