भारतीय घरों में तुलसी का पौधा पूजा जाता है. लेकिन वैज्ञानिक नजरिया इसे मेडिकल नजरिये से भी अच्छा मानता रहा है. अब ये पौधा आधुनिक चिकित्सा की दुनिया में भी अपनी पहचान बनाने लगा है. हाल ही में CSIR-CIMAP की ताजा रिसर्च ने तुलसी में एक ऐसे जीन की खोज की है जो इसे और भी खास बनाता है. यह जीन तुलसी में अपिगेट्रिन (apigetrin) नामक एक मेडिकल कंपाउंड को बढ़ाता है, जो सूजन कम करने और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है.जानिए- कैसे यह खोज आयुर्वेद और ग्लोबल फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में नया इतिहास लिख सकती है.
तुलसी का जादू, अब साइंस की जुबानी
हमारे घर-आंगन में उगने वाली तुलसी को आयुर्वेद में 'रोगनाशिनी' कहा जाता है. सर्दी-खांसी से लेकर तनाव तक, तुलसी की चाय और काढ़ा तो हर घर का नुस्खा है. लेकिन अब सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स (CSIR-CIMAP) की रिसर्च ने तुलसी के इस जादू को वैज्ञानिक आधार दे दिया है. वैज्ञानिकों ने तुलसी में एक खास जीन ढूंढ निकाला है, जो फ्लेवोनॉइड्स नामक यौगिकों को बनाता है. इनमें से अपिगेट्रिन वह सुपरपावर है, जो शरीर में सूजन को कम करता है और कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है. CSIR-CIMAP के शोधकर्ताओं का दावा है कि इस जीन की खोज से हम तुलसी के औषधीय गुणों को और बढ़ा सकते हैं, जो भविष्य में दवाइयों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है.
आयुर्वेद और साइंस का संगम
यह खोज आयुर्वेद के लिए एक बड़ी जीत है. सदियों से भारत में तुलसी को इम्यूनिटी बढ़ाने, पाचन सुधारने और त्वचा की समस्याओं के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है. लेकिन अब, इस वैज्ञानिक खोज ने तुलसी को वैश्विक मंच पर ला खड़ा किया है. बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी हाल ही में भारत के साथ मिलकर आयुष पद्धतियों को वैज्ञानिक रूप से मान्यता देने की दिशा में कदम बढ़ाया है. तुलसी की यह रिसर्च उसी दिशा में एक मील का पत्थर है.
ये खोज क्यों है खास
तुलसी का यह यौगिक, अपिगेट्रिन, खासकर सूजन से जुड़ी बीमारियों जैसे गठिया, हृदय रोग और कुछ तरह के कैंसर के इलाज में मददगार हो सकता है. साथ ही, इसके एंटी-ऑक्सीडेंट गुण शरीर को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं, जो उम्र बढ़ने और कई गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं. अब इस खोज का फायदा फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में प्राकृतिक औषधियों की डिमांड जिस तेजी से बढ़ रही है, वहां भी मिल सकता है. CSIR के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस जीन को और बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर तुलसी में अपिगेट्रिन की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है. इससे आयुर्वेदिक दवाइयां और प्रभावी होंगी.
तुलसी को घर में अपनाएं, लेकिन सावधानी से
हर कोई तुलसी की चाय पीकर सुपरहेल्दी हो जाएगा? ये इतना आसान नहीं है! विशेषज्ञों का कहना है कि तुलसी के फायदे तभी मिलते हैं, जब इसे सही मात्रा और सही तरीके से लिया जाए. ज्यादा मात्रा में तुलसी का सेवन कुछ मामलों में ब्लड शुगर को कम कर सकता है या दवाइयों के साथ रिएक्शन कर सकता है. इसलिए, तुलसी का काढ़ा या चाय बनाते समय आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है.