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शहरों में रहने वाले मेल गौरैया बन रहे सुपरडैड, साबित हो रहे ज्यादा केयरिंग और स्मार्ट: स्टडी

सिटी में रहने वाले इंसान ही सुपरपेरेंट्स नहीं बन रहे, बल्कि इसका असर पक्षियों खासकर मेल गौरैया पर भी दिखने लगा है. ताजा रिसर्च के अनुसार, शहरों में रहने वाले ये पक्षी ग्रामीण पंक्षियों से ज्यादा स्मार्ट होते हैं और अपने बच्चे की सुरक्षा का ज्यादा ध्यान भी रखते हैं. जरा भी खतरा दिखने पर ये हिंसक हो जाते हैं.

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शहरी गौरैया बच्चों के लिए ज्यादा केयरिंग साबित हो रही है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
शहरी गौरैया बच्चों के लिए ज्यादा केयरिंग साबित हो रही है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

शहर में रहना, मतलब भागती-दौड़ती जिंदगी, ट्रैफिक, छोटे घर, शोर और पॉल्यूशन. ये सारी बातें मिलकर हमारा स्ट्रेस लेवल कई गुना बढ़ा देती हैं. शहरों में क्राइम की दर गांवों से ज्यादा ही दिखेगी. वहीं हाउस बर्ड के मामले में साइंटिस्ट्स ने कुछ और ही देखा. वैसे तो ये चिड़िया तेजी से गायब हुई है, लेकिन बची हुई बर्ड्स सुपरपेरेंट साबित हो रही हैं.

साइंस जर्नल फ्रंटियर्स की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में ये दावा किया गया. इनडायरेक्ट इफैक्ट्स ऑफ अर्बनाइजेशन नाम से प्रकाशित हुई रिपोर्ट के लिए वर्जिनिया की 6 अलग-अलग जगहों जहां गौरैया सबसे ज्यादा दिखती हैं, उन्हें 4 ब्रीडिंग सीजन के दौरान देखा गया.

इस समय दिखा कि मेल गौरैया अपने बच्चों को लेकर ज्यादा चिंतित होते हैं. ग्रामीण या कस्बाई इलाकों में रहने वाली चिड़िया एक बार घोंसले से जाने के बाद शाम ढले लौटती है, जबकि ये दिन में कई बार बच्चों को देखने आते. 

city life make male sparrows more caring parents says latest study photo Unsplash

नॉर्थ डकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी से स्टडी में शामिल वैज्ञानिक डॉ सैमुअल लेन ने कहा कि शहरों का चुनौतीपूर्ण माहौल गौरैया को ज्यादा संवेदनशील और केयरिंग बना रहा है. खासकर इसका असर मेल बर्ड्स पर ज्यादा हो रहा है. वे न केवल बच्चों को खाना-पानी देने के लिए बार-बार घोंसले की तरफ आते हैं, बल्कि आसपास कोई भटकता दिख जाए तो उसे शिकारी मानकर आक्रामक भी हो जाते हैं. 

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शहरों में बर्ड लाइफ पर कई मजेदार चीजें भी देखने को मिलीं, जो गांवों से अलग हैं. ब्रूड पैरासिटिज्म यहां ज्यादा दिखेगा, यानी बहुत से पक्षी अपने अंडे दूसरों के घोंसले में छोड़ जाते हैं. शोधकर्ताओं ने ये भी देखा कि शहर में माहौल भले ही चुनौतियों से भरा हो, लेकिन कई फायदे भी हैं. मसलन, यहां घोंसले पर हमला करके अंडों या बच्चों को नुकसान पहुंचाने की दर कम है. इसकी एक वजह ये है कि शहरी माहौल जंगली पक्षियों के लिए काफी मुश्किल होता है. ऐसे में वे आबादी वाले इलाकों की बजाए सूनी जगहों पर रहते हैं, इसका फायदा गौरैया या कबूतर जैसे पक्षियों को मिलता है.

 

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