आज श्रावण सुदी दशमी है और आज के दिन जल भरे कलश की पूजा की जाती है. इससे वरुण देवता खुश होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं. पूजा में सारे देवताओं को याद कर 16 वस्तुएं जल में मिलाकर पूजा की जाती है.
दरअसल, शास्त्रों में जल को अमृत माना गया है. इसलिए इसकी पूजा की जाती है. हमारी संस्कृति में वैदिक काल से ही पंचतत्व पूजन का विधान रहा है.
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पंचतत्व में जल सबसे विशिष्ट है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जल को वरुण कहा जाता है.
जल से भरे कलश को देवताओं का आसन माना जाता है. जल से भरे कलश पर वरुण देव विराजते हैं. इस पूजा से घर में सुख समृद्धि आती है और जीवन से नीरसता का नाश होता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन पानी में दूध मिलाकर नहाने से सभी शारीरिक कष्ट दूर होते हैं.
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पूजन विधि
जल से भरे तांबे के कलश का पूजन करें. इसमें रोली, मोली, अक्षत, शर्करा, दूध आदि डालकर अशोक के पत्ते डालें और 108 बार ॐ अपां पतये वरुणाय नमः।॥ मंत्र का जाप करें. इसके बाद पूरे घर में इस जल का छिड़काव करें. हां, ये बात ध्यान रहे कि छिड़काव अशोक के पत्ते से ही करें.