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Karwa Chauth 2025: बिंदी, बिछिया... करवा चौथ पर इन चीजों के बिना अधूरा है 16 श्रृंगार, जानें क्या है महत्व

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. इस एक उपाय को करने से व्रती महिला को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार का महत्व (Photo: PTI)
करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार का महत्व (Photo: PTI)

Karwa Chauth 2025: पूरे साल जिस पर्व का सभी सुहागिन या विवाहित महिलाओं को इंतजार रहता है, वो है करवा चौथ. इस त्योहार की खरीदारी के लिए महिलाओं की बाजारों में भीड़ भी जमा हो रखी है. इस बार करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा. यह पर्व पति की लंबी उम्र, अच्छी सेहत के लिए रखा जाता है. महिलाएं इस दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं.

मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत सिर्फ पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए नहीं होता है बल्कि यह व्रत आस्था और प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है. वहीं, करवा चौथ में महिलाओं का सोलह श्रृंगार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. तो चलिए जानते हैं कि सोलह श्रृंगार में क्या क्या शामिल होता है. 

करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार का महत्व

माना जाता है कि करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार करने से व्रती महिलाओं को माता करवा और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कहा जाता है कि करवा चौथ के दिन सोलह श्रृंगार करने से वैवाहिक जीवन मजबूत होता है और पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है. अब जानते हैं कि सोलह श्रृंगार में क्या क्या शामिल होता है. 

सोलह श्रृंगार में बिंदी, सिंदूर, मांगटीका, काजल, नथ, झुमके, हार, हरी और लाल चूड़ियां, मेहंदी, बिछिए, कंगन, पायल, गजरा, मंगलसूत्र, अंगूठी, कपड़े, इत्र, बाजूबंद और कमरबंद, ये सभी चीजें शामिल होती हैं. 

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करवा चौथ पर इस रंग का न करें इस्तेमाल

करवा चौथ के दिन महिलाओं को भूल से भी काले, सफेद या किसी गहरे रंग के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए. इस दिन पीला, लाल या हरे रंग के वस्त्रों पहनना शुभ माना जाता है. इसके अलावा, इस दिन निर्जला व्रत रखना चाहिए और न किसी धारदार वस्तु का इस्तेमाल करना चाहिए.

करवा चौथ की पूजन विधि (Karwa Chauth 2025 Pujan Vidhi)

सबसे पहले सुबह सूर्योदय से पहले सरगी खाने की परंपरा होती है, जो सास अपनी बहू को देती हैं. दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को करवा चौथ की पूजा की जाती है. इसके लिए एक थाली सजाई जाती है जिसमें करवा (मिट्टी का घड़ा), दीपक, चावल, मिठाई, पानी और रोली रखी जाती है. महिलाएं सोलह श्रृंगार करके एक साथ बैठकर कथा सुनती हैं.

कथा सुनने के बाद महिलाएं करवा और मिट्टी के दीये से पूजा करती हैं. करवा को पानी, मिठाई और दक्षिणा चढ़ाई जाती है. उसके बाद चांद निकलने का इंतजार किया जाता है. चांद को छलनी से देखकर अर्घ्य दिया जाता है और फिर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोला जाता है.

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