ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी कहा जाता है. भीम ने एक मात्र इसी उपवास को रखा था. जिसके बाद वो मूर्छित हो गए थे. इसको भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है.
इस दिन बिना जल के उपवास रखने से साल की सारी एकादशियों का पुण्य प्राप्त हो जाता है. इसके अलावा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति भी होती है.
इस दिन अच्छे स्वास्थ्य तथा सुखद जीवन की मनोकामना पूरी होने की संभावना होती है. इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 23 जून को रखा जाएगा.
जानें, कब है निर्जला एकादशी, क्या है इसका महत्व?
निर्जला एकादशी पर अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए ये उपाय करें-
अच्छे स्वास्थ्य और मानसिक समस्याओं से मुक्ति के लिए क्या करें ?
- एकादशी का उपवास रखें.
- दिन भर और रात भर केवल जल वाले आहार ही ग्रहण करें.
- जितना संभव हो अपने ईष्ट देव या श्री हरि की उपासना करें.
- रात्रि में इनके मन्त्र का जाप करें.
- कम से कम बात करें और क्रोध करने से बचें.
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धन की प्राप्ति और संपन्नता के लिए क्या करें ?
- एकादशी का उपवास रखें.
- श्रीहरि विष्णु की माँ लक्ष्मी के साथ उपासना करें.
- संभव हो तो विष्णु सहस्त्रनाम या गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें.
- मध्य रात्रि के समय धन और संपन्नता प्राप्ति की प्रार्थना जरूर करें.
मन की शान्ति और शुद्धि के लिए क्या करें ?
- एकादशी पर केवल जलीय आहार ग्रहण करें.
- ज्यादा से ज्यादा मंत्र जाप और ध्यान करें.
- एकांत में रहें और प्रार्थना करें.
- ओंकार पाठ के भी विशेष परिणाम मिल सकते हैं.