उत्तराखंड के प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. शुक्रवार तड़के बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और साढ़े चार बजे कपाट खुल जाएंगे. इससे पहले ब्रदीनाथ मंदिर को फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया है.
वहीं, गुरुवार को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी के साथ रावल जी, उद्धव जी, कुबेर जी और गाडू घड़ा (तेलकलश) योग ध्यान बद्री मंदिर पांडुकेश्वर से बद्रीनाथ धाम पहुंचे. कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते इस बार रास्ते में लामबगड़ और हनुमान चट्टी में देव डोलियों ने विश्राम नहीं किया और न ही इन स्थानों पर भंडारे आयोजित हुए.
पांडुकेश्वर स्थित प्राचीन योग ध्यान बद्री मंदिर में सुबह पूजा-अर्चना के पश्चात सभी देव डोलियों ने रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी और डिमरी पंचायत प्रतिनिधि हकूक धारियों के साथ श्री बद्रीनाथ धाम की ओर प्रस्थान किया. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया और सभी लोगों ने मास्क पहने रखा.
कम संख्या में बद्रीनाथ धाम जाने की अनुमति दिए जाने के कारण सिर्फ देवस्थानम बोर्ड और सीमित संख्या में हकूक धारी बद्रीनाथ धाम पहुंचे. कपाट खुलने की प्रक्रिया से जुड़े कम से कम लोगों को श्री बद्रीनाथ धाम जाने की अनुमति दी गई है.
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उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि शुक्रवार 15 मई को तड़के 4 बजकर 30 मिनट पर कृष्ण अष्टमी तिथि धनिष्ठा नक्षत्र में श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे. शुक्रवार तड़के 3 बजे से ही कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. कुबेर जी, श्री उद्धव जी और गाडू घड़ा को दक्षिण द्वार से मंदिर परिसर में रखा जाएगा.
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इसके बाद रावल, धर्माधिकारी और हकूक धारियों की मौजूदगी में कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू होगी. ठीक साढ़े चार बजे श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुल जाएंगे और लक्ष्मी माता को परिसर स्थित मंदिर में विराजमान कर दिया जाएगा. इस दौरान लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए बहुत कम लोग मौजूद रहेंगे.
आपको बता दें कि उत्तराखंड के चारों धाम के कपाट खुले है, लेकिन जब तक कोरोना वायरस का संकट टल नहीं जाता है, तब तक चारधाम यात्रा शुरू होने की उम्मीद नहीं है.
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