जीवन के पथ पर सफलता पूर्वक चलते रहने के लिए अच्छे-बुरे, गलत-सही का पता होना काफी आवश्यक है. आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में उन सभी बातों और नीतियों का उल्लेख किया है जिसके आधार पर मनुष्य अपने जीवन को सफल बना सकता है. आचार्य चाणक्य के मुताबिक 6 तरह के लोग और दो चीजें कभी दूसरे का दर्द और दुख नहीं समझते. इन्हें जो करना होता है वो करके रहते हैं. आइए जानते हैं इन सभी 8 के बारे में...
राजा वेश्या यमश्चाग्निस्तस्करो बालयाचकौ।
परदुःखं न जानन्ति अष्टमो ग्रामकण्टकः।।
> चाणक्य कहते हैं कि राजा यानी शासन-प्रशासन के लोग किसी के दुख व भावनाओं को नहीं समझते हैं. वो कड़क होकर नियम और सत्य के आधार पर फैसला करते हैं.
> इस श्लोक में वो वैश्या का भी जिक्र करते हैं. वो कहते हैं कि वैश्या अपने काम से और पैसे से मतलब रखती है. उसे दूसरे के दुख से कोई मतलब नहीं होता.
> चाणक्य के मुताबिक यमराज का लोगों की भावनाओं से कोई संबंध नहीं होता. समय आने पर वो किसी को नहीं छोड़ते. उन्हें किसी के दुख दर्द से कोई मतलब नहीं होता. यम अगर पीड़ा को समझेंगे तो किसी प्राणी की मृत्यु ही नहीं होगी.
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> आग की प्रवृति भी सबसे जुदा है. वो चपेट में आने वाले व्यक्ति का आचरण, दुख और भावनाओं को नहीं देखती. उसके चपेट में आने वाले जलकर राख हो जाते हैं. ये जीवन के लिए जितनी जरूरी है उतनी ही घातक भी.
> चाणक्य ने कहा है कि चोर किसी की पीड़ा नहीं समझते. उसका एक ही लक्ष्य होता है चोरी करना. उसके चोरी से सामने वाले के साथ कितनी बड़ी परेशानी हो सकती है इससे उसे कोई मतलब नहीं होता.
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> बच्चों को दूसरों के दर्द और दुख से कोई मतलब नहीं होता, क्योंकि उसकी बुद्धि का विकास नही हुआ होता और वो दुख व भावनाओँ से काफी दूर होता है.
> याचक यानी मांगने वाले भी दूसरों का दुख नहीं समझते. उन्हें बस अपनी जरूरत को पूरा करना ही पता होता है. वो सामने वाले के दुख को नहीं समझ पाते.
> कांटा सिर्फ चुभने के लिए है, उसकी प्रवृति ही चुभने वाली है.