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ये नियम बदल सकते हैं आपकी किस्मत, सात जन्मों तक नहीं होगी पैसों की कमी

कहा जाता है कि जिस घर में मंदिर की पवित्रता बनाए रखी जाती है और उसके नियम पूरे श्रद्धा के साथ निभाए जाते हैं, वहां मां लक्ष्मी का स्थायी वास होता है और परिवार को सात जन्मों तक धन-धान्य की कमी नहीं होती. लेकिन यदि इन नियमों की अनदेखी की जाए, तो धीरे-धीरे घर में नकारात्मक ऊर्जा और विभिन्न प्रकार की बाधाएं पनपने लगती हैं.

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पूजा घर (AI Generated)
पूजा घर (AI Generated)

घर के पूजा स्थान को बेहद पवित्र और शक्तिशाली माना गया है. जिस घर में मंदिर और पूजा घर के नियम पूरे आदर के साथ निभाए जाते हैं, वहां लक्ष्मी का वास होता है और सात जन्मों तक धन-समृद्धि की कमी नहीं होती. लेकिन अगर नियमों की अनदेखी कर दी जाए, तो घर में नकारात्मक ऊर्जा और बाधाएं बढ़ने लगती हैं.  यही कारण है कि ऋषि-मुनियों और ग्रंथों में पूजा घर की सफाई, नियम और आचार-विचार को खास महत्व दिया गया है. आइये जानते हैं उन नियमों के बारे में जिनका पालन करने से मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है.

पूजा घर की सफाई हर शनिवार को करें
शनिवार का दिन विशेष रूप से शनिदेव को समर्पित है. माना जाता है कि इस दिन किए गए सत्कर्म और धार्मिक कार्य कई गुना फल देते हैं.  इसी कारण पूजा घर की सफाई शनिवार को करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है, मानसिक शांति मिलती है और परिवार में एक सकारात्मक वातावरण बना रहता है. इसलिए यदि आप अपने घर में शांति और समृद्धि चाहते हैं, तो हर शनिवार पूजा घर की सफाई का नियम अवश्य बनाएं.

सफाई के बाद गंगाजल का छिड़काव
गंगाजल को सर्वोच्च पवित्रता का प्रतीक माना गया है.  माना जाता है कि गंगा जल में सभी पापों को हरने और वातावरण को शुद्ध करने की शक्ति होती है. इसी कारण पूजा घर की सफाई के बाद गंगाजल का छिड़काव करना बहुत शुभ माना जाता है. 

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पूजा घर को साफ करने के बाद गंगाजल छिड़कने से उस स्थान की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है, वहां सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ने लगता है.  यह न केवल वातावरण को पवित्र करता है बल्कि मन और आत्मा को भी शांति प्रदान करता है. 

शास्त्रों में कहा गया है कि गंगाजल का छिड़काव घर में दिव्यता लाता है . यह ईश्वर को प्रसन्न करने का एक सरल उपाय भी है. इससे घर में सुख-शांति और सौभाग्य का वास होता है.  इसलिए हर बार सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव अवश्य करना चाहिए, ताकि पूजा घर हमेशा पावन और ऊर्जावान बना रहे. 

दीपक की सफाई

भारतीय संस्कृति में दीपक ज्ञान, आशा और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है. जब भी हम मंदिर या पूजा घर में दीप जलाते हैं, तो वह केवल अंधकार को दूर नहीं करता, बल्कि हमारे जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को भी मिटाता है. 

लेकिन इस दिव्यता का अनुभव तभी पूर्ण होता है, जब दीपक शुद्ध और स्वच्छ हो. यदि दीपक गंदा हो या उसमें पुराना तेल और कालिख जमी हो, तो उसका प्रकाश कमजोर हो जाता है और उसका प्रभाव भी कम पड़ता है.  इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि दीपक को रोज साफ करना अत्यंत आवश्यक है. 

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एकादशी या गुरुवार को न करें सफाई

हिन्दू धर्म में एकादशी और गुरुवार दोनों ही दिन विशेष आध्यात्मिक महत्व रखते हैं. एकादशी का दिन भगवान विष्णु की आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन उपवास, भजन और पूजा का अत्यधिक पुण्यफल प्राप्त होता है. वहीं, गुरुवार का दिन देवगुरु बृहस्पति को समर्पित है और यह दिन ज्ञान, धर्म और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. 

इसी कारण परंपराओं में कहा गया है कि इन दिनों पूजा घर की सफाई नहीं करनी चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से पूजा का फल कम हो सकता है और यह धार्मिक दृष्टि से उचित नहीं है. 

तस्वीर भूलकर भी जमीन पर न रखें
पूजा घर में रखी देवी-देवताओं की तस्वीरें और मूर्तियां केवल चित्र या प्रतिमा नहीं होतीं, बल्कि वे  श्रद्धा, आस्था और सम्मान का प्रतीक मानी जाती हैं. इन तस्वीरों के माध्यम से हम ईश्वर से जुड़ते हैं और उनसे शक्ति व आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. 

इसी कारण इन्हें हमेशा सम्मानपूर्वक संभालना बहुत आवश्यक है.  सफाई के दौरान कई बार लोग जल्दीबाजी में तस्वीरों या मूर्तियों को सीधे जमीन पर रख देते हैं, लेकिन ऐसा करना शास्त्रों में अपमानजनक माना गया है.  यह देवताओं के प्रति असम्मान का भाव दर्शाता है और नकारात्मक फल दे सकता है. 

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इसलिए जब भी आप मंदिर या पूजा घर की सफाई करें, तो देवताओं की तस्वीरें या मूर्तियां कभी भी जमीन पर न रखें.  उन्हें हमेशा किसी साफ कपड़े, मेज या पवित्र स्थान पर ही थोड़ी देर के लिए रखें.

पूजा करने के बाद मंदिर का पर्दा जरूर लगाएं

घर के मंदिर या पूजा घर को शास्त्रों में सबसे पवित्र स्थान माना गया है. जैसे हम किसी प्रिय वस्तु या सम्मानित व्यक्ति की रक्षा करते हैं, वैसे ही ईश्वर के स्थान की मर्यादा बनाए रखने के लिए भी विशेष नियम बताए गए हैं. उन्हीं में से एक है पूजा समाप्त होने के बाद मंदिर पर पर्दा लगाना. पर्दा लगाने से मंदिर की पवित्रता और गोपनीयता बनी रहती है. यह केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि सम्मान और अनुशासन का प्रतीक है. 

पूजा घर में हर रोज कपूर जलाएं
कपूर भारतीय पूजा-पद्धति का एक अभिन्न हिस्सा है.  इसकी महक और धुआं केवल वातावरण को सुगंधित ही नहीं करता, बल्कि उसे शुद्ध भी बनाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि कपूर जलाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और घर में सकारात्मकता का संचार होता है. 

माना जाता है कि कपूर में ऐसी दिव्य शक्ति होती है, जो सभी प्रकार के वास्तुदोष और पितृदोष को शांत करने में सहायक होती है. जब रोज शाम को दीपक के साथ कपूर जलाया जाता है, तो उसका धुआं वातावरण को पवित्र कर देता है और घर के हर कोने में शांति और सुकून भर देता है. 

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