ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कलयुग में राहु को सबसे प्रभावशाली और रहस्यमयी ग्रह माना गया है. राहु को “कलयुग का राजा” कहा जाता है क्योंकि यह व्यक्ति के कर्म, इच्छाओं और भौतिक सुखों पर गहरा प्रभाव डालता है. राहु की गति बहुत धीमी होती है. यह किसी भी राशि में लगभग 18 वर्ष तक रहता है और दोबारा उसी राशि में आने में भी लगभग इतना ही समय लगता है. वर्तमान में राहु शनि की राशि कुंभ में गोचर कर रहे हैं और वर्ष 2026 के अंत तक यहीं रहेंगे. इस दौरान उन्होंने शुक्र के साथ मिलकर एक दुर्लभ और शक्तिशाली नवपंचम राजयोग का निर्माण किया है.
ज्योतिष में यह योग तब बनता है जब नवम भाव (भाग्य भाव) और पंचम भाव (बुद्धि व रचनात्मकता) के स्वामी या संबंधित ग्रह एक-दूसरे के साथ अनुकूल स्थिति में आते हैं. यह संयोग जीवन में भाग्य वृद्धि, समृद्धि, सफलता और आकस्मिक लाभ के अवसर देता है. इस समय शुक्र अपनी स्वयं की राशि तुला में प्रवेश कर चुके हैं, जबकि राहु कुंभ राशि में स्थित हैं. इनके बीच का यह विशेष संबंध तीन राशियों तुला, कुंभ और धनु के लिए विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है.
तुला राशि
इस समय तुला राशि के लग्न में शुक्र और पंचम भाव में राहु विराजमान हैं, जिससे नवपंचम राजयोग बन रहा है. इस संयोग से कार्यक्षेत्र और करियर में उन्नति के योग बन रहे हैं. रचनात्मक कार्यों, कला, मीडिया, फैशन और डिजाइन से जुड़े जातकों को सफलता मिल सकती है. आर्थिक रूप से भी यह समय मजबूत रहेगा. प्रेम संबंधों में मधुरता और जीवन में संतुलन बढ़ेगा.
कुंभ राशि
कुंभ राशि की कुंडली में राहु लग्न भाव में और शुक्र चौथे भाव में गोचर कर रहे हैं. यह योग घर, संपत्ति और करियर में सुधार का संकेत देता है. जो लोग संपत्ति या वाहन खरीदना चाहते हैं, उनके लिए यह समय शुभ रहेगा. करियर में नई दिशा और आत्मविश्वास बढ़ेगा, वहीं पारिवारिक जीवन में खुशहाली रहेगी.
धनु राशि
धनु राशि के लिए राहु–शुक्र का नवपंचम राजयोग अत्यंत लाभदायक सिद्ध हो सकता है. राहु तृतीय भाव में और शुक्र एकादश भाव में हैं, जो साहस, प्रयास और लाभ के संकेत दे रहे हैं. व्यापार विस्तार, प्रमोशन और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ने की संभावना है. अविवाहित जातकों को विवाह प्रस्ताव मिल सकते हैं. वित्तीय स्थिति में सुधार होगा.