Naya Saal par Tusli Ke upay: तुलसी को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और दिव्य पौधा माना जाता है. मान्यता है कि तुलसी में देवी लक्ष्मी का वास होता है और यह पौधा घर में शुद्धता, समृद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है. तुलसी के पौधे पर बांधा गया लाल रंग का कलावा नकारात्मक शक्तियों से बचाव का प्रतीक माना जाता है. यह कलावा घर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने वाला माना जाता है.
नए साल या किसी शुभ अवसर पर तुलसी के इस कलावे को बदलना विशेष रूप से मंगलकारी माना गया है. यह सौभाग्य, सुख-शांति और समृद्धि के द्वार खोलता है. ऐसा माना जाता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है, और परिवार पर देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है.
नए साल में तुलसी का कलावा बदलने का महत्व
मान्यता है कि नए साल पर नया कलावा चढ़ाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, घर में सुख, शांति और समृद्धि बढ़ती है. जीवन में आने वाले नए अवसरों के द्वार खुलते हैं. लाल कलावा बदलने से घर के वातावरण में नई और शुभ ऊर्जा का संचार होता है. ऐसा माना जाता है कि इससे किस्मत भी साथ देने लगती है. पूरे वर्ष सकारात्मकता बनी रहती है.
तुलसी का कलावा बदलने की विधि
नए साल के पहले दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. एक थाली में रोली, चंदन, अक्षत और नया लाल रंग का कलावा रखें. तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाएं और अगरबत्ती करें. इसके बाद तुलसी के पौधे को रोली और चंदन से तिलक लगाएं. तुलसी के पौधे से पुराना कलावा हटाए, और किसी पवित्र नदी या जल में प्रवाहित कर दें. नए लाल रंग के कलावे को तुलसी के पौधे में बांधें. कलावा बांधते समय "ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्"मंत्र का जाप करें
इन बातों का रखें ध्यान
सुबह के समय ही कलावा बदलें: नया कलावा बदलने के लिए सूर्योदय के बाद का समय सबसे शुभ माना जाता है. इस समय वातावरण शुद्ध और शांत होता है.
तुलसी को स्नान कराएं: कलावा बदलने से पहले तुलसी पर जल अर्पित करें. इससे पौधा शुद्ध होता है, पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है.
साफ-सुथरा लाल कलावा ही प्रयोग करें: नया कलावा शुद्ध, लाल और बिना फटा हुआ होना चाहिए. लाल रंग ऊर्जा, शक्ति और शुभता का प्रतीक है.
तुलसी के पास दीपक जलाएं: कलावा बदलते समय दीया जलाकर पूजा करें. यह सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है और वातावरण पवित्र बनाता है.
तुलसी को हाथ से न छुएं : सुबह पूजा के समय तो छू सकते हैं, पर शाम के समय तुलसी को स्पर्श करना परंपरा में वर्जित माना जाता है.
पुराने कलावे को जमीन पर न फेंकें: पुराने कलावे को साफ जगह पर रखकर बहते पानी में प्रवाहित करें .
तुलसी पर चढ़ाया जल गलत दिशा में न जाए: सामान्यतः पूरब या उत्तर दिशा की ओर जल अर्पित करना शुभ माना जाता है.