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Shardiya Navratri 2025: सुबह या शाम? नवरात्र में किस समय की पूजा होती है सबसे उत्तम

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का पूरे विधि विधान के साथ पूजन किया जाता है. लेकिन, लोगों के मन में नवरात्र को लेकर अक्सर ये सवाल उठता है कि मां दुर्गा की पूजा के लिए सुबह या शाम, कौन सा समय सबसे शुभ होता है.

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जानें नवरात्र में सुबह या शाम, कब देवी की उपासना करना होता है उत्तम
जानें नवरात्र में सुबह या शाम, कब देवी की उपासना करना होता है उत्तम

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र के पवित्र दिन चल रहे हैं. यह शुभ घड़ी मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित होती है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा-उपासना से हर मनोवांछित फल की प्राप्ति हो जाती है. शारदीय नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का पूरे विधि विधान के साथ पूजन किया जाता है. लेकिन, लोगों के मन में नवरात्र को लेकर अक्सर ये सवाल उठता है कि मां दुर्गा की पूजा के लिए सुबह या शाम, कौन सा समय सबसे शुभ होता है. तो चलिए धार्मिक दृष्टिकोण से जानने की कोशिश करते हैं कि मां दुर्गा की उपासना के लिए कौन सा समय सबसे लाभकारी रहेगा.

सुबह की पूजा का महत्व

हिंदू धर्म के मुताबिक, सुबह का समय पूजन वगैरह जैसे अनुष्ठानों के लिए सबसे शुभ होता है. कहते हैं कि सुबह की पूजा ब्रह्म मुहूर्त या फिर सूर्योदय के समय होनी चाहिए. पूजा के दौरान इस समय घी का दीपक, मंत्रों का जाप या उच्चारण, सुगंधित पुष्प मां दुर्गा को जरूर अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से शरीर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. सुबह का समय पवित्रता का प्रतीक है. इसलिए, माना जाता है कि इस समय प्रार्थना करने से शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. नवरात्र के दौरान व्रत रखने वालों को अपने दिन की शुरुआत प्रात:काल की पूजा से ही करनी चाहिए.

शाम की पूजा का महत्व

ज्योतिषविद कहते हैं कि शाम या रात की पूजा उतनी ही प्रभावी होती है, जितनी सुबह की पूजा होती है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, सुबह और दोपहर की पूजा प्रकृति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है. लेकिन शाम में जलते हुए दीप और आरती पूजा घर को एक दिव्य चमक प्रदान करती है. नवरात्र में शाम की पूजा बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि मां दुर्गा को अंधकार और नकारात्मकता को दूर करने वाली देवी कहा जाता है. इस दौरान मां दुर्गा के भजन गाए जाते हैं, आरती होती है और देवी को भोग-प्रसाद अर्पित किया जाता है. 

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