Shani Ke Nakshatra: शनि के तीन प्रमुख नक्षत्र माने गए हैं- पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद. इनमें पुष्य को अत्यंत शुभ और पवित्र नक्षत्र माना जाता है. जबकि अनुराधा नक्षत्र को संपन्नता और प्रगति का कारक माना गया है. ज्योतिषाचार्य पं. शैलेंद्र पांडेय के अनुसार, शनि के नक्षत्र व्यक्ति की कर्म शक्ति, पेशेवर रवैये और स्वभाव पर गहरा प्रभाव डालते हैं. आइए जानते हैं कि इन तीनों नक्षत्रों के अंतर्गत आने वाले लोगों का व्यवहार और भाग्य क्या कहता है.
शनि का पहला नक्षत्र: पुष्य
यह नक्षत्र पूरी तरह कर्क राशि में स्थित होता है. इसे नक्षत्रों में सबसे पवित्र और शुभ बताया गया है. इस नक्षत्र से जुड़े लोग धार्मिक और आध्यात्मिक झुकाव वाले होते हैं. इनके भीतर आगे बढ़ने और विकसित होने की मजबूत क्षमता होती है. ये लोग विपरीत परिस्थितियों से जल्दी उबर जाते हैं. हालांकि, कभी-कभी इनमें ईर्ष्या या स्वार्थ की प्रवृत्ति भी देखने को मिलती है. ऐसे लोगों को रिश्तों और मित्रता में हमेशा सतर्क रहना चाहिए.
शनि का दूसरा नक्षत्र: अनुराधा
अनुराधा नक्षत्र पूर्ण रूप से वृश्चिक राशि के दायरे में आता है. इसे उपलब्धि और सफलता का नक्षत्र कहा गया है. इस नक्षत्र वाले जातक साहसी, ऊर्जावान और प्रभावशाली व्यक्तित्व के होते हैं. इन्हें अक्सर अपने घर-परिवार से दूर या विदेश में बेहतरीन तरक्की मिलती है. संबंधों को निभाने की कला इनकी सबसे बड़ी ताकत होती है. दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण ये जीवन में काफी आगे बढ़ते हैं. हालांकि, कभी-कभी ये दूसरों को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं और अपनी उपलब्धियों से जल्दी संतुष्ट नहीं होते हैं.
शनि का तीसरा नक्षत्र: उत्तराभाद्रपद
यह नक्षत्र मीन राशि के अंतर्गत आता है और इसके भीतर अग्नि समान शक्ति सक्रिय मानी जाती है. इसे ऊर्जा का नक्षत्र बताया गया है. इस नक्षत्र में जन्मे लोग दयालु, समृद्ध और प्रसन्न स्वभाव के होते हैं. इनमें अद्भुत आध्यात्मिक क्षमता और ज्ञान पाया जाता है. ज्योतिष विद्वान बताते हैं कि इस नक्षत्र की महिलाओं में मां लक्ष्मी के समान गुण दिखाई देते हैं. हालांकि, कभी-कभी इनमें क्रोध, आलस्य और लापरवाही की प्रवृत्ति भी देखी जा सकती है.