Amavasya Pitra Dosh Upay : मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. इस तिथि को पूर्वजों की आत्मा की शांति और पितृ दोष निवारण के लिए विशेष रूप से शुभ बताया गया है. ज्योतिष के अनुसार, पितृ दोष कुंडली का एक अत्यंत अशुभ दोष होता है, जो पूर्वजों की असंतुष्टि के कारण उत्पन्न होता है. इसके प्रभाव से परिवार के लोग कई तरह की परेशानियों का सामना करते हैं जैसे विवाह में बाधाएं, आर्थिक संकट और संतान-संबंधी समस्याएं.
पितृ दोष निवारण के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन बेहद शुभ माना गया है. ऐसे कुछ उपाय हैं जिन्हें अपनाकर पितृ दोष की परेशानियों से मुक्ति पाई जा सकती है. पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि की शुरुआत 19 नवंबर को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर होगी और इसका समापन 20 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर होगा. इस दिन पवित्र स्नान और पितृ दोष निवारण उपाय अवश्य करें.
पितृ दोष के लक्षण
पितृ दोष के प्रभाव से व्यक्ति और उसका परिवार कई तरह की कठिनाइयों का सामना करता है. यह केवल एक ज्योतिषीय दोष नहीं, बल्कि पूर्वजों की असंतुष्टि का संकेत माना जाता है. ऐसा होने पर कई तरह के संकेत घर में दिखाई देते हैं, जानते हैं उनके बारे में
अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है. ऐसे में समय पर पितृ तर्पण, दान-पुण्य और पूजा-पाठ जैसे उपाय करना जरूरी होता है ताकि परिवार में फिर से सुख, शांति और समृद्धि लौट सके. 20 नवंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या है. मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन पितृ दोष निवारण के लिए बेहद शुभ माना गया है. इस दिन किए गए कर्म पूर्वजों की आत्मा को शांति देते हैं और परिवार पर से दोष का प्रभाव कम करते हैं.
पितृ दोष के उपाय
इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें और उनसे अपने पितरों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करें. पितरों के श्राद्ध, तर्पण, और दान-पुण्य करें.ब्राह्मणों को भोजन कराएं, उन्हें दान-दक्षिणा दें, ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. सुबह गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें, स्नान के बाद तिल, पुष्प और जल अर्पित कर पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करें.शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. धार्मिक मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में पितरों का वास होता है. दीपक जलाने के बाद पीपल के पेड़ की 5 या 7 बार परिक्रमा करें .