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Hindu Wedding Rituals: हिंदू धर्म में क्यों दुल्हन दूल्हे के बाईं ओर बैठती है? जानें इसका कारण

Hindu Wedding Rituals: हिंदू विवाह की परंपराओं में दुल्हन का दूल्हे के बाईं ओर बैठना एक महत्वपूर्ण रस्म है जो धार्मिक, सांस्कृतिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से जुड़ी हुई है. यह परंपरा पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और सौहार्द बनाए रखने का भी प्रतीक मानी जाती है.

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हिंदू धर्म में क्यों दुल्हन दूल्हे की बाईं ओर बैठती है (Photo: ITG)
हिंदू धर्म में क्यों दुल्हन दूल्हे की बाईं ओर बैठती है (Photo: ITG)

Hindu Wedding Rituals: हिंदू शादियों में कई ऐसी रस्में हैं जिनका पालन सदियों से होता आ रहा है. मान्यता है कि विवाह से जुड़ी हर छोटी-बड़ी परंपरा जीवन में सौभाग्य और समृद्धि लाने वाली होती है. दुल्हन की मांग में सिक्के से भरने से लेकर विदाई के समय चावल उछालने तक अनेक रीति-रिवाज ऐसे हैं जिन्हें हम पीढ़ियों से निभाते आ रहे हैं. इनके साथ कुछ प्रथाएं ऐसी भी हैं जिन्हें धर्मशास्त्रों में अनिवार्य माना गया है. इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण प्रथा है, विवाह की सभी रस्मों के दौरान दुल्हन का दूल्हे के बाईं ओर बैठना. यह परंपरा केवल सांस्कृतिक मान्यता नहीं, बल्कि वैदिक परंपरा और दांपत्य जीवन की गहराई से भी जुड़ी हुई है. 

दुल्हन का दूल्हे के बाईं ओर बैठने का रिवाज

पंरपरानुसार, ऐसा माना जाता है कि यदि दुल्हन शादी के पूजन या हवन के दौरान दुल्हे के बाईं ओर ही बैठती है तभी विवाह सही तरीके से पूर्ण माना जाता है. कहते हैं कि हिंदू शास्त्रों में पत्नी को वामांगिनी कहा गया है अर्थात पति के बाएं अंग में स्थित, उसके हृदय के निकट. इस मान्यता के अनुसार, विवाह के समय दुल्हन का दूल्हे के बाईं ओर बैठना दर्शाता है कि वह हमेशा उसके हृदय के समीप रहेगी, उनके रिश्ते में प्रेम, विश्वास और सौहार्द बना रहेगा. 

देवी-देवताओं से जुड़ी है ये परंपरा

शास्त्रों के अनुसार, माता लक्ष्मी सदैव भगवान विष्णु के बाईं ओर बैठती हैं. इस कारण के अलावा, देवी का जन्म भी भगवान शिव के बाए अंग से हुआ था. इसका प्रतिरूप अर्धनारीश्वर स्वरूप में दिखाई देता है, जहां शिव और शक्ति एक ही देह के दो भाग के रूप में प्रकट होते हैं. इसी कारण विवाह संस्कार में वधू को वर के बाईं ओर बैठाने की परंपरा मानी गई है.

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दुल्हन के बाईं ओर बैठने का ज्योतिषीय दृष्टिकोण

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, सातवां भाव विवाह का होता है, नवां भाव भाग्य का होता है और ग्यारहवां भाव लाभ का प्रतीक माना जाता है. कई पंडितों के अनुसार, दुल्हन का गृह प्रवेश और दूल्हे के बाईं ओर में बैठना सौभाग्य के उदय और धन-लाभ के योग को मजबूत करता है. इसलिए, यह परंपरा आज भी शुभ मानी जाती है. 

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