scorecardresearch
 

Chhath Puja 2025: छठ पर्व के अंतिम दिन ऐसे दिया गया उगते सूर्य को अर्घ्य, जानें धार्मिक महत्व

Chhath Puja 2025: आज छठ पूजा का आखिरी दिन है. आज के दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा का समापन किया गया. जानते हैं छठ पूजा के महत्व और इसके पीछे की कथा के बारे में, साथ ही यह भी जानेंगे कि छठ के आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने सा सही नियम क्या है.

Advertisement
X
छठ पूजा 2025
छठ पूजा 2025

Chhath Puja 2025: चार दिनों तक मनाया जाने वाला छठ पर्व भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित है. इस पूजा का चौथा और आखिरी दिन विशेष रूप से ऊषा अर्घ्य के रूप में जाना जाता है. छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. जिसमें व्रतधारी स्वच्छता और शुद्धता का पालन करते हुए स्नान करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं. दूसरे दिन खरना मनाया जाता है. तीसरे दिन संध्या अर्घ्य होता है. इसमें सूर्यास्त के समय नदी या जलाशय के किनारे जाकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है.

चौथा दिन ऊषा अर्घ्य दिया जाता है, इस दिन व्रतधारी सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय के समय नदी, तालाब या किसी जल स्रोत में जाकर सूर्य देव और उनकी पत्नी छठी मैया को अर्घ्य देते हैं. छठ पूजा हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. यह पूजा न केवल सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है, बल्कि यह मान्यता है कि इसे करने से घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है. 

ऊषा अर्घ्य मुहूर्त

आज मंगलवार की सुबह सूर्योदय का समय प्रातः 6 बजकर 30 मिनट था. इस दिन व्रती महिलाएं ने घाटों, नदियों और तालाबों के पवित्र जल में खड़े होकर सूर्य देव को पूर्ण विधि-विधान से अर्घ्य अर्पित किया. व्रती ने इस अवसर पर छठी मैया से अपने परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और जीवन में नई ऊर्जा की कामना की. इसी के साथ चार दिनों के कठिन तप और 36 घंटे का निर्जला उपवास का आज समापन हुआ. अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जा रहा है, जिसमें प्रसाद के रूप में ठेकुआ, गुड़, केला, नारियल और मौसमी फल ग्रहण किए जाएंगे. 

Advertisement
छठ पूजा (Photo: PTI)

अर्घ्य देने की विधि

उगते सूर्य को पूर्व दिशा की ओर मुंह करके अर्घ्य देना चाहिए. क्योंकि सूर्य देव का उदय पूर्व दिशा से होता है. सूर्य की पहली किरण के क्षितिज पर दिखाई देते ही कलश या पीतल के लोटे में जल भरकर उसमें सुपारी, फूल, चावल, और दूब घास डालकर अर्घ्य अर्पित करें.अर्घ्य देते समय सूर्य देव के नाम का जाप करें. 

उदयागमी अर्घ्य का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन में अनेक लाभ होते हैं. जल अर्पित करने से ना केवल शरीर में ऊर्जा और आत्मबल बढ़ता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मविश्वास भी मिलता है, जो व्यक्ति नियमित रूप से सूर्य देव को अर्घ्य देता है, उसके जीवन में मान-सम्मान, प्रतिष्ठा और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि जन्मकुंडली में सूर्य दोष या किसी अशुभ स्थिति का प्रभाव हो, तो नियमित रूप से सूर्य को अर्घ्य देने से यह दोष दूर होता है. 

छठ पूजा की कथा

कहा जाता है कि प्राचीन काल में राजा प्रियव्रत के कोई संतान नहीं थी.इस कारण वह अत्यंत दुखी और निराश रहते थे. एक बार, महर्षि कश्यप ने राजा से कहा कि संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ करना चाहिए. राजा ने महर्षि की सलाह मानी और यज्ञ कराया. इसके कुछ समय बाद राजा के घर एक पुत्र का जन्म हुआ. लेकिन दुर्भाग्यवश, वह बच्चा मृत पैदा हुआ. यह घटना राजा और रानी के लिए और भी बड़ा दुःख बन गई. उनके परिवार के लोग भी अत्यंत दुःखी हो गए.तभी, अचानक आकाश से माता षष्ठी प्रकट हुईं. उनके दर्शन से राजा और रानी की सारी पीड़ा और चिंता दूर हो गई. राजा ने माता से प्रार्थना की और अपनी संवेदनाओं को व्यक्त किया. देवी षष्ठी ने उत्तर देते हुए कहा: "मैं ब्रह्मा के मानस पुत्री षष्ठी देवी हूं. मैं इस विश्व के सभी बालकों की रक्षा करती हूं और जो लोग निसंतान हैं, उन्हें संतान सुख प्रदान करती हूं." 

Advertisement

इसके बाद देवी ने मृत शिशु पर अपना हाथ रखा और उसे आशीर्वाद दिया. चमत्कारिक रूप से, वह बच्चा तुरंत जीवित हो गया. यह दृश्य देखकर राजा प्रियव्रत अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने देवी षष्ठी की आराधना करना प्रारंभ कर दिया. कहा जाता है कि इस घटना के बाद ही छठी माता की पूजा और छठ पर्व मनाने का विधान शुरू हुआ. छठ पूजा का उद्देश्य केवल संतान सुख ही नहीं, बल्कि घर में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा लाना भी माना जाता है. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement