scorecardresearch
 

जानिए, क्या है उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

सामान्य स्थिति में साल में कुल 24 एकादशी व्रत पड़ता है. इन एकादशियों को ग्यारस भी कहते हैं लेकिन मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी सबसे अनोखी मानी जाती है क्योंकि इसी दिन एकादशी का जन्म हुआ था.

Advertisement
X
उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि
उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि

सामान्य स्थिति में साल में कुल 24 एकादशी व्रत पड़ता है. इन एकादशियों को ग्यारस भी कहते हैं लेकिन मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी सबसे अनोखी मानी जाती है क्योंकि इसी दिन एकादशी का जन्म हुआ था. मान्यताएं बहुत हैं लेकिन कुछ बातों पर गौर करें तो इनमें गहरी सच्चाई भी है. इस एक व्रत से ऐश्वर्य, संतान, मुक्ति और मोक्ष की कामना भी पूरी की जा सकती है. इस बार उत्पन्ना एकादशी 14 नवंबर को है.

स्वयं ही सुलझ जाएगी जीवन की हर उलझन

एकादशी व्रत कोई भी व्यक्ति कर सकता है. इस दिन व्रत करने से भक्तजनों को सभी तरह के पापों मुक्ति मिल जाती है. उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने राक्षस मुरसुरा को मारा था और इसी दिन श्रीहरि विष्णु से देवी एकादशी उत्पन्न हुई थीं. यहीं से एकादशी व्रत का आरंभ माना गया है. कहते हैं जो व्यक्ति पूर्ण निष्ठा से ये व्रत करता है उसे संसार के सभी कष्टों से श्रीहरि मुक्ति दिलाते हैं.

Advertisement

एकादशी व्रत तिथि – 14 नवंबर 2017

पारण का समय  – 06:47 से 08:54 बजे तक (15 नवंबर 2017)

एकादशी तिथि प्रारंभ – 12:25 बजे से (13 नवंबर 2017)

एकादशी तिथि समाप्त – 12:35 बजे (14 नवंबर 2017)

इस दिन कैसे करें श्रीहरि और उनके अवतरों को प्रसन्न

हिंदू धर्म में व्रत करने के तमाम फायदे बताए गए हैं. हर व्रत का अपना महत्व और अपनी मान्यताएं हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भले ही आपने व्रत रखते हो चाहे वो निर्जला हो या फलाहार, सभी तरह के व्रत में सबसे ज्यादा असरकारक और महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का व्रत होता है.

क्या है उत्पन्ना एकादशी का महत्व?

व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण व्रत एकादशी है.

एकादशी व्रत रखने से मन की चंचलता खत्म होती है.

धन संपदा हासिल होती है.

शरीर के हारमोन्स की समस्या ठीक होती है.

व्यक्ति का मनोरोग दूर होता है.

उत्पन्ना एकादशी व्रत से आरोग्य प्राप्त होता है.

उत्पन्ना एकादशी व्रत से संतान प्राप्ति और मोक्ष मिलता है.

इस व्रत से हर मानसिक समस्या दूर हो जाती है.

ये व्रत मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है.

इस व्रत में फल खाना शामिल किया गया है.

इस मौसम में स्वास्थ्य की दृष्टि से फल खाना अच्छा होता है.

Advertisement

कैसे रखा जाता है एकादशी व्रत?

ये व्रत दो तरह से रखा जाता है-

निर्जला और फलाहारी या जलीय व्रत

निर्जल व्रत को स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए

अन्य लोगों को फलाहारी या जलीय व्रत रखना चाहिए

इस व्रत में दशमी को रात में भोजन नहीं करना चाहिए

एकादशी को सुबह श्री कृष्ण की पूजा की जाती है

इस व्रत में सिर्फ फलों का ही भोग लगाया जाता है

इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन किया जाता है  

एकादशी व्रत के दिन क्या नहीं करना है?

तामसिक आहार पूरे दिन नहीं करना है

किसी से भी बुरा व्यवहार नहीं करना है

पूरे दिन बुरे विचारों से भी दूर रहें

प्रभु विष्णु को अर्घ्य दिए बिना दिन की शुरुआत न करें

केवल हल्दी मिले हुए जल से ही अर्घ्य दें

अर्घ्य के लिए रोली या दूध का इस्तेमाल न करें

सेहत ठीक न हो तो उपवास न रखें

सेहत ठीक न होने पर केवल बाकी नियमों का पालन करें

एकादशी व्रत से लाभ-

भगवान कृष्ण को फल चढ़ाएं

श्री कृष्ण को तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें

इसके बाद 'क्लीं कृष्ण क्लीं' का जाप करें

भगवान से कामना पूर्ति की प्रार्थना करें

Advertisement
Advertisement