राजस्थान की राजधानी जयपुर में विधायकपुरी थाना पुलिस ने एक अनोखे और शातिर लुटेरों के गिरोह का पर्दाफाश किया है. यह गिरोह दिल्ली से लग्जरी बसों में आता था और ऑटो में बुजुर्ग महिलाओं को लूटता था. गिरोह का सरगना गोविंद राजकोटिया खुद ऑटो चलाता था और अपने गिरोह के सदस्यों को नकली यात्री बनाकर ऑटो में बैठाता था.
दरअसल, लुटेरी ऑटो गैंग की योजना बेहद शातिर थी. बस स्टैंड और मंदिरों के पास रैकी कर बुजुर्ग महिलाओं को टारगेट किया जाता. महिला को ऑटो में बिठाने के बाद कुछ दूर जाकर एक और साथी सवारी बनकर चढ़ता. फिर ऑटो चालक हवा कम होने का बहाना बनाकर सीट बदलवाता और सभी सदस्य मिलकर महिला को झगड़े के बहाने ध्यान भटका कर उसके गहने और कीमती सामान लूट लेते.
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वारदात के बाद आरोपी ऑटो को पार्किंग में खड़ा कर लग्जरी बस से दिल्ली भाग जाते थे. दिल्ली में हुलिया बदलकर कुछ दिन छिपते और फिर नए प्लान के साथ वापस जयपुर लौटते थे. इतना ही नहीं, वे ऑटो पार्किंग का किराया तक एडवांस में दे जाते थे ताकि शक न हो. इसी बीच 30 जून को 66 वर्षीय संगीता नंदवानी और 56 वर्षीय हेमलता वासवानी के साथ ऐसी ही लूट की गई.
जिसमें आरोपियों ने उनकी सोने की चेन लूटी. दोनों वारदातें विधायकपुरी थाना क्षेत्र में हुईं. पुलिस ने घटनास्थल के सीसीटीवी कैमरे खंगालकर ऑटो की पहचान की और उसकी दिल्ली से कनेक्टिविटी पाई. दिल्ली के रघुवीर नगर कच्ची बस्ती में दबिश देकर मुख्य सरगना गोविंद राजकोटिया और साथी अश्विन मीठापुरा को गिरफ्तार कर लिया गया. स्थानीय लोगों के विरोध के चलते तीसरा आरोपी रवि फरार हो गया.
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि गिरोह ने दो दिन में सात वारदातें कीं और कुछ घटनाएं तो एक ही घंटे में हुईं. गिरोह पिछले 10 सालों से दिल्ली से इस तरह की वारदातों को अंजाम देता आ रहा है. अब पुलिस गैंग से जुड़े बाकी सदस्यों की तलाश में जुटी है और यह गिरोह कैसे interstate स्तर पर लूट को अंजाम देता था, इसकी परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं.
विधायकपुरी थानाधिकारी बनवारी लाल मीणा ने बताया कि यह गिरोह अत्यंत शातिर तरीके से वारदातों को अंजाम देता था. घटना के बाद आरोपी अपने ऑटो रिक्शा को जयपुर की एक पार्किंग में खड़ा कर देते और महंगे किराए की लग्जरी बसों से दिल्ली भाग जाते थे. दिल्ली पहुंचकर ये आरोपी अपना हुलिया बदल लेते और दाढ़ी-मूंछ और बाल कटवा लेते ताकि पहचान न हो सके. फिर 5 से 7 दिन दिल्ली में रुकने के बाद यह गिरोह फिर से जयपुर लौटता और उसी पार्किंग से अपना ऑटो निकालकर दोबारा वारदातों को अंजाम देना शुरू कर देता.
15 दिनों के लिए 1500 रुपये देता था पार्किंग शुल्क
हैरानी की बात यह है कि आरोपी खुद को नियमित और जिम्मेदार नागरिक दिखाने के लिए ऑटो पार्किंग का किराया भी एडवांस में जमा करवाते थे. उन्होंने वारदात से पहले 15 दिनों के लिए 1500 रुपये पार्किंग शुल्क भी जमा किया था. 29 जून को इन आरोपियों ने जयपुर के मुरलीपुरा, बड़ी चौपड़, सांगानेरी गेट, नारायण सर्किल और विधायकपुरी इलाकों में ऑटो रूट के हिसाब से दो दिन में सात वारदातों को अंजाम दिया.
थानाधिकारी ने आगे बताया कि गिरोह का सरगना गोविंद राजकोटिया ऐशो-आराम की जिंदगी का शौकीन है. इसी कारण उसके परिजनों ने उसे घर से बाहर कर दिया था. 2014 में उसकी पत्नी की मृत्यु के बाद उसने दूसरी शादी कर ली और दिल्ली जाकर बस गया. वह पिछले लगभग 10 वर्षों से दिल्ली में रहकर इस तरह की संगठित लूट की वारदातों को अंजाम देता आ रहा है. फिलहाल पुलिस गिरोह से जुड़े अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है.