राजस्थान में खांसी की दवा के साइड इफेक्ट के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. इस घटना के सामने आने के बाद सरकार हरकत में आई और डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप की सप्लाई पर रोक लगा दी गई. बीते दिनों भरतपुर और सीकर जिले के श्रीमाधोपुर में इस दवा के सेवन से बच्चों की तबीयत बिगड़ी थी. बीमार बच्चों को जयपुर के जेके लोन अस्पताल में भर्ती कराया गया और इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया.
सोमवार को जयपुर के मानसरोवर स्थित एक निजी अस्पताल में दो साल की बच्ची को भर्ती किया गया. उसे 27 सितंबर को सांगानेर की डिस्पेंसरी से यह दवा दी गई थी. दवा लेने के बाद बच्ची बेहोश जैसी हो गई और उसे आईसीयू में रखा गया. फिलहाल बच्ची को जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है.
डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप की सप्लाई पर रोक
बच्ची की मां और मामा ने बताया कि दवा देने के तुरंत बाद ही बच्ची की हालत बिगड़ी. वहीं पल्मनोलॉजिस्ट डॉ. शिवानी स्वामी ने कहा कि खांसी या बुखार होने पर बिना डॉक्टर की सलाह से कफ सिरप का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और बच्चों को हमेशा तय डोज ही दी जानी चाहिए.
ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया कि भरतपुर, सीकर और कुछ जिलों में ऐसे मामले सामने आए हैं. दवा के सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए हैं. शुरुआती जांच में पता चला कि यह दवा बच्चों के लिए नहीं बल्कि सिर्फ एडल्ट के लिए है. हैरानी की बात यह है कि भरतपुर के एक सरकारी डॉक्टर ने भी यह दवा ली और उनकी तबीयत बिगड़ गई.
दवा पीने के बाद बच्ची की हालत बिगड़ी, आईसीयू में भर्ती
यह दवा जयपुर की लोकल कंपनी कायसन्स फार्मा बना रही है. मामला सामने आने के बाद राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड ने इस दवा की सप्लाई रोक दी है. विस्तृत जांच रिपोर्ट पांच से छह दिन में आने की उम्मीद है. बता दें, डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड दवा पीने से सीकर और भरतपुर में दो बच्चों की मौत हुई थी.