राजस्थान के 182 अस्पतालों में करोड़ों रुपये की डायलिसिस मशीनें बेकार पड़ी हैं. आजतक चैनल पर 4 नवंबर को प्रसारित रिपोर्ट में 50 करोड़ रुपये की मशीनों के कबाड़ होने की खबर सामने आने के बाद राज्य सरकार हरकत में आई है. रिपोर्ट के अनुसार, कई अस्पतालों में इन मशीनों के लिए पर्याप्त जगह नहीं है, जिससे मरीजों को सुविधा नहीं मिल पा रही है और मशीनें बेकार पड़ी हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने 5 नवंबर को एक अहम बैठक कर सभी अस्पतालों को निर्देश दिए हैं कि जिन अस्पतालों में डायलिसिस मशीनें इंस्टाल नहीं हो सकीं, वो तुरंत अपनी रिपोर्ट दें ताकि इन्हें अन्य अस्पतालों में स्थापित किया जा सके. जयपुर में आयोजित बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जल्द ही इन मशीनों को पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर चालू किया जाएगा.
मशीनों को पीपीपी मोड पर चालू किया जाएगा
लालसोट जिला अस्पताल के अधीक्षक मदनलाल ने आजतक को कैमरे पर बताया कि उनके अस्पताल में मशीनों के लिए पर्याप्त जगह नहीं है और इस कारण मशीनें कबाड़ और कॉरिडोर में पड़ी हैं. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी अस्पतालों से फील्ड रिपोर्ट मंगाने और आवश्यकतानुसार जगह उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.
सभी मशीनों को एक महीने में चालू करने की योजना
राजस्थान के पब्लिक हेल्थ डायरेक्टर रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि पिछले सरकार के टेंडर में कुछ खामियां थीं, जिस कारण इस प्रक्रिया में देरी हुई. लेकिन अब चुनावों में व्यस्त स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने फाइल को मंजूरी दे दी है और सभी मशीनों को एक महीने के अंदर चालू करने की योजना बनाई गई है. राजस्थान सरकार का उद्देश्य है कि सभी मरीजों को उनके नजदीकी अस्पतालों में डायलिसिस की सुविधा मिले और उन्हें भटकना ना पड़े.