पितृपक्ष का समय चल रहा है और भाग्य चक्र में शनि, राहु और केतु को शांत करने के उपायों पर चर्चा हुई. बताया गया कि पितरों का संबंध हमारे कर्मों, संस्कारों और भावनाओं से होता है. शनि का संबंध पूर्व जन्म के कर्मों और पितरों की स्थिति से है, राहु का संबंध दायित्व और ऋणों से है.