इस देश का दुर्भाग्य ये है कि राजनीति में बोलियों का इस्तेमाल नफरत के लिए किया जा रहा है. आम आदमी तो पीड़ित है ही. लेकिन जब इसका इस्तेमाल शिक्षा संस्थानों की छवि धूमिल करने के लिए होने लगे तो बात और ज्यादा गंभीर हो जाती है. संघ (RSS) के विचारक एस गुरुमूर्ति ने कहा है कि जेएनयू (JNU) के डीएनए में ही देश का विरोध है. उसे बंद कर देना चाहिए. देखें ये पूरी रिपोर्ट.