चुनाव के वक्त घोटालों की फेरहिस्त खूब गिनाई गई, लेकिन किसी भी मामले में किसी को सजा बीते साढ़े तीन बरस में नहीं हुई. तो क्या सब मिले हुये हैं या फिर सबूत होते नहीं. या फिर सिस्टम ही करप्ट है. तो क्या देश की जनता को राजनीति बरगलाती है. क्योंकि चुनाव के वक्त की इन आवाजों को कौन भूल सकता है जब मनमोहन सिंह घोटालों के सरदार तक करार दिए गए.