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संदेशखाली कांड के गवाह का 'एक्सिडेंट' साधारण घटना नहीं? बंगाल की राजनीति का आईना है

संदेशखाली केस में मुख्य आरोपी रहे शाहजहां शेख के खिलाफ गवाह रहे शख्स और उसके बेटे की कार को एक खाली ट्रक ने टक्‍कर मारी, जिसमें बेटे की मौत हो गई. इस खबर के सार्वजनिक होते ही चर्चा का बाजार गर्म हो गया है. सियासत तेज हो गई है. जाहिर है कि इसे लोग सामान्य मौत नही मान रहे हैं.

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संदेशखाली की महिलाओं पर अत्याचार का आरोपी शाहजहां शेख और महिलाओं का प्रदर्शन ( फाइल फोटो)
संदेशखाली की महिलाओं पर अत्याचार का आरोपी शाहजहां शेख और महिलाओं का प्रदर्शन ( फाइल फोटो)

संदेशखाली याद है ना? जी हां वही जो 2024 लोकसभा चुनावों के दौरान चर्चा में था. उत्तर 24 परगना जिले का यह छोटा-सा गांव, जो कभी TMC के स्ट्रॉन्गमैन शाहजहां शेख के आतंक का पर्याय था, आज फिर सुर्खियों में है. 10 दिसंबर 2025 को संदेशखाली में हुआ एक 'एक्सिडेंट' जिसमें राजनीतिक साजिश की बू आ रही है.  ANI की एक वीडियो रिपोर्ट में एक दुखी मां की आवाज गूंज रही है. महिला कहती है कि पिता बशीरहाट कोर्ट जा रहे थे. शाहजहां शेख ने जेल से ही यह प्लान किया है. क्या कभी इसकी सुनवाई होगी? मां का गोद हमेशा के लिए खाली हो गया. यह कोई साधारण दुर्घटना नहीं है. 

आपको याद होगा कि पिछले साल यहां की महिलाओं ने आरोप लगाया था टीएमसी के नेता उन्हें किसी न किसी बहाने घर बुलाकर उनसे रेप करते हैं. महिलाओं के यौन उत्पीड़न, बड़े पैमाने पर जमीन हड़पने के आरोपों ने देश को हिला दिया था. यहां तक कि यहां जांच करने पहुंचे ईडी के अधिकारियों पर जानलेवा हमला हुआ था. इन घटनाओं में मुख्य आरोपी टीएमसी नेता शाहजहां शेख को 56 दिनों बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. मंगलवार को हुए एक्सिडेट में शाहजहां शेख के केस में मुख्य गवाह के बेटे की कोर्ट जाते हुए मौत ने पूरे प्रदेश के लोगों को हिला कर रख दिया है.

यह एक्सिडेट किसी भी व्यक्ति को सामान्य नहीं लग रहा है. यह पूरे बंगाल की राजनीतिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है. यह हादसा बताता है किस तरह बंगाल की राजनीति TMC की 'मुट्ठी' में कैद है. अगर यह एक्सिडेंट सिर्फ एक मौत नहीं तो यह न्याय व्यवस्था पर हमला है और लोकतंत्र की हत्या का प्रतीक है. क्या यह संयोग हो सकता है कि मुख्य गवाह का बेटा ठीक कोर्ट जाते वक्त मर गया? या TMC की 'जंगलराज' की नई कड़ी?  

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कैसे हुआ हादसा

पश्चिम बंगाल के हाई प्रोफाइल संदेशखली केस में शाहजहां शेख के खिलाफ मुख्य गवाह भोला घोष की कार बोयारमारी के पास बसंती हाईवे पर एक खाली ट्रक से भिड़ गई. ये हादसा इतना भयानक था कि गवाह के बेटे सत्यजीत घोष और कार के ड्राइवर शाहनूर मुल्ला की मौके पर ही मौत हो गई. इस हादसे में भोला घोष गंभीर रूप से घायल हो गए. वो अपने बेटे के साथ बशीरहाट सब-डिविजनल कोर्ट में एक दूसरे मामले में सुनवाई के लिए जा रहे थे. हालांकि जिस केस में वो सुनवाई के लिए जा रहे थे उसका संदेशखाली केस से कोई संबंध नहीं है. 

TMC का 'शाही साम्राज्य' और शाहजहां का उदय

संदेशखाली कस्बा बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत उत्तर 24 परगना का एक ग्रामीण इलाका है जो कभी शांतिपूर्ण था. लेकिन 2010 के दशक से TMC के उदय के साथ यह 'सिंडिकेट राज' का केंद्र बन गया. TMC की 2011 की जीत ने लेफ्ट फ्रंट के 34 साल के शासन को उखाड़ फेंका, लेकिन उसके साथ राज्य में हुआ उसे हम संदेशखाली जैसी घटनाओं में देख सकते हैं. आरोप है कि यहां TMC ने स्थानीय स्तर पर 'सिंडिकेट' बनाए जो जमीन हड़पने, अवैध निर्माण और वोटरों को डराने के काम आता है. शाहजहां शेख का नाम इस कहानी का मुख्य किरदार है. 

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1970 के दशक में बांग्लादेश से अवैध घुसपैठिए के रूप में भारत आए शाहजहां ने 2013 में TMC जॉइन किया. पहले CPM से जुड़े थे, लेकिन TMC की लहर में बड़ी होशियारी से पार्टी बदल लिए.  मात्र 10 सालों में वे संदेशखाली TMC के 'सभापति' बने, जिला परिषद सदस्य चुने गए और उत्तर 24 परगना के 'मछली व्यापार' (Matsa) के 'राजा'. कई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शाहजहां मंत्रियों से ज्यादा प्रभावशाली हो गए थे कि वे अवैध मछली पालन, जमीन कब्जा और वसूली के जरिए करोड़ों की कमाई करते थे.

संदेशखाली कब दुनिया के सामने आया

 बीबीसी की एक रिपोर्ट में दर्जनों स्थानीय महिलाएं बताती हैं किसी न किसी बहाने टीएमसी नेताओं के लोग उन्हें घरों में बुलाते हैं और उनके साथ वो करते हैं जो वह बता नहीं सकती हैं. महिलाओं का आरोप था कि राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के तीन नेता शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार और उनके सहयोगी लंबे समय से इलाक़े के लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं. महिलाओं के लगातार आंदोलन के बाद क़रीब दो हफ्ते बाद दो महिलाओं ने सामूहिक बलात्कार की शिकायत दर्ज हुई. शिबू और सरदार तो गिरफ्तार हो गए पर मुख्य आरोपी शाहजहां शेख फरार हो गया था. पर ऐन चुनावों के पहले पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था. 

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संदेशखाली की राजनीति TMC के 'माइनॉरिटी वोट बैंक' पर टिकी है. शाहजहां जैसे मुस्लिम नेता (बंगाल में 27% से अधिक मुस्लिम आबादी) TMC का कोर वोटर्स हैं. शाहजहां ने 2023 में जिला परिषद जीता, TMC को मजबूत किया. दरअसल टीएमसी का यह वोट बैंक 'डर' पर टिका हुआ है. 2024 लोकसभा चुनावों में संदेशखाली BJP के लिए हॉटस्पॉट बना.रेखा पात्रा (BJP कैंडिडेट) ने शाहजहां के खिलाफ आवाज उठाई, पर सफलता नहीं मिली.  दरअसल जो संदेशखाली में जो हुआ, वह पूरे बंगाल में फैला है.

टीएमसी शासनकाल में पश्चिम बंगाल का हाल

2011 में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने लेफ्ट फ्रंट के 34 साल के शासन को उखाड़ फेंका. चुनावी नारे थे परिवर्तन लाएंगे, बदले की राजनीति नहीं होगी. लेकिन सत्ता में आने के बाद टीएमसी का शासन हिंसा, गुंडागर्दी और 'सिंडिकेट राज' का पर्याय बन गया. संदेशखाली का ताजा हादसा जहां शाहजहां शेख केस के गवाह के बेटे की संदिग्ध मौत हुई केवल एक कड़ी है. टीएमसी के 14 सालों में राजनीतिक हत्याएं, साम्प्रदायिक दंगे, बम विस्फोट और महिलाओं पर अत्याचार आम हो गए. यह 'जंगलराज' सिर्फ विपक्ष का आरोप नहीं, बल्कि आंकड़ों और घटनाओं का आईना है.  2011 के बाद सीपीआई(एम) के 56 नेताओं की हत्या हुईं जिसमें टीएमसी कार्यकर्ताओं पर आरोप लगे. पश्चिम बंगाल में जो आज की तारीख में हाल है उसे निम्न उदाहरणों से समझ सकते हैं.

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2011 चुनाव के बाद का खूनी खेल

टीएमसी की 2011 की जीत के बाद राज्य में 'बदले की राजनीति' ने जोर पकड़ा. लेफ्ट कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया. इसी तरह 2024 लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमले हुए. यहां तक कि बीजेपी के विधायक और सांसदों तक पर हमले की खबरें आईं. 2018 के पंचायत चुनावों में भी हिंसा चरम पर रही. टीएमसी ने 34% सीटें जीतीं, लेकिन विपक्ष के 100 से अधिक कार्यकर्ता मारे गए. इस तरह की हिंसा वोटरों को डराने का हथियार बन चुका है.

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