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केजरीवाल के लिए लुधियाना उपचुनाव भी दिल्ली की जंग से कम नहीं है

लुधियाना पश्चिम उपचुनाव आम आदमी पार्टी के लिए महज एक विधानसभा सीट का चुनाव भर नहीं है, बल्कि ये अरविंद केजरीवाल के राष्ट्रीय राजनीति में पांव जमाने का सबसे मजबूत जुगाड़ है. लेकिन, ये मुमकिन भी तभी होगा जब संजीव अरोड़ा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच जायें, और अरविंद केजरीवाल के लिए राज्यसभा का रास्ता साफ कर दें.

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अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक भविष्य फिलहाल AAP उम्मीदवार संजीव अरोड़ा के प्रदर्शन पर निर्भर है.
अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक भविष्य फिलहाल AAP उम्मीदवार संजीव अरोड़ा के प्रदर्शन पर निर्भर है.

अरविंद केजरीवाल की नजर दिल्ली पर बनी हुई जरूर है, लेकिन वो लुधियाना पर ही पूरी तरह फोकस हैं. हों भी क्यों ना, अभी तो उनके लिए दिल्ली का रास्ता भी लुधियाना से होकर ही गुजरता है. एक बार विपश्यना के लिए जो पंजाब का रुख किया था, अरविंद केजरीवाल लगातार पंजाब में ही जमे हुए हैं. दिल्ली तो अब लगता है जैसे बस आना जाना ही होता है. 

हाल ही में आम आदमी पार्टी के छात्र विंग के री-लॉन्च के मौके पर मनीष सिसोदिया के साथ अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली में थे. दिल्ली तो पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज के हवाले ही छोड़ रखा है. ASAP यानी एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स के बैनर तले अब छात्रों को काम पर लगा दिया है, और दिल्ली छात्रसंघ का चुनाव लड़ने की भी तैयारी है. 

लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तैयारी तो अरविंद केजरीवाल दिल्ली चुनाव के नतीजे आने के कुछ दिन बाद ही शुरू कर दिये थे, अब तो तारीख भी आ गई है.चुनाव आयोग ने लुधियाना वेस्ट सीट पर उपचुनाव के लिए 19 जून की तारीख मुकर्रर की है, और 23 जून वोटों की गिनती के साथ नतीजे भी आ जाएंगे. लुधियाना के साथ ही गुजरात की दो, केरल और पश्चिम बंगाल में की एक-एक सीट पर भी उपचुनाव होंगे. आम आदमी पार्टी तो गुजरात के उपचुनावों में भी शुरू से ही दिलचस्पी ले रही है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण लुधियाना पश्चिम उपचुनाव है. 

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पहले तो अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक विरोधी ही आरोप लगा रहे थे, लेकिन अब तो ज्यादातर लोग मानने लगे हैं कि आम आदमी पार्टी के नेता के लिए ये उपचुनाव राष्ट्रीय राजनीति का रास्ता खोलने वाला है - क्योंकि, AAP उम्मीदवार संजीव अरोड़ा अगर उपचुनाव जीतकर विधायक बन जाते हैं, तो उनकी राज्यसभा की सीट खाली हो जाएगी. 

और उसी जगह अरविंद केजरीवाल राज्यसभा पहुंचने की कोशिश करेंगे, जो राष्ट्रीय राजनीति में मजबूती से पांव जमाने के लिए सही प्लेटफॉर्म लगता है. लुधियाना वेस्ट से कांग्रेस ने पंजाब के पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु को उम्मीदवार बनाया है. फिलहाल वो पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं. शिरोमणि अकाली दल ने वरिष्ठ अधिवक्ता परुपकर सिंह घुम्मण को मैदान में उतार दिया है. आम आदमी पार्टी ने जहां फरवरी में भी अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था, भारतीय जनता पार्टी अभी फैसला नहीं ले पाई है. असल में, कभी राहुल गांधी के बेहद करीबी रहे रवनीत सिंह बिट्टू लुधियाना से सांसद हैं, और केंद्र की बीजेपी सरकार में मंत्री बनाये गये हैं. जाहिर है, बीजेपी जो भी उम्मीदवार तय करेगी, नजर आने वाले 2027 के पंजाब विधानसभा चुनाव पर तो होगी ही. 

केजरीवाल के लिए दिल्ली जैसा हुआ लुधियाना

लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट के लिए आम आदमी पार्टी ने 26 फरवरी को ही अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को उम्मीदवार घोषित कर दिया था. और तभी से बीजेपी और कांग्रेस आरोप लगाने लगे थे कि आम आदमी पार्टी संजीव अरोड़ा को विधानसभा चुनाव लड़ाकर अरविंद केजरीवाल को राज्यसभा भेजने का इंतजाम कर रही है. हालांकि, आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता ऐसी बातों से साफ साफ इनकार करते रहे हैं.

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लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट आम आदमी पार्टी के विधायक रहे गुरप्रीत गोगी की मौत हो जाने के कारण ही खाली हुई. गलती से गोली चल जाने से गुरप्रीत गोगी की जनवरी, 2025 में मौत हो गई थी. लुधियाना उपचुनाव अरविंद केजरीवाल के लिए फिलहाल सबसे ज्यादा अहम हो गया है. ये पहला चुनाव है जिसमें जीत मिली, अरविंद केजरीवाल के लिए दिल्ली की हार पर मरहम होगी. लेकिन, अगर संजीव अरोड़ा चुनाव हार गये तो सारा खेल बिगड़ भी सकता है. अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक विरोधियों का आरोप है कि संजीव अरोड़ा को पंजाब सरकार में मंत्री बनाने का वादा भी किया गया है, और इसी बात पर वो राज्यसभा की सीट छोड़ने पर राजी हुए हैं. आम आदमी पार्टी में राज्यसभा सीट के झगड़े का तो खतरनाक रूप तक देखा जा चुका है. स्वाति मालीवाल केस सबसे बड़ा सबूत है. 

लुधियाना में भी कांग्रेस बनी दिल्ली जैसी मुसीबत

लुधियाना में आम आदमी पार्टी के बीते चुनावी प्रदर्शनों को देखें तो तो ये राह काफी मुश्किल लगती है. 2024 के लोकसभा चुनाव में AAP उम्मीदवार अशोक पराशर तीसरे पायदान पर पाये गये थे. लुधियाना सीट पर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने बीजेपी के रवनीत सिंह बिट्टू को हरा दिया था. लुधियाना की 9 विधानसभा सीटों में से किसी पर भी आम आदमी पार्टी नंबर 1 की पोजीशन पर नहीं देखी गई. लुधियाना वेस्ट सहित 5 शहरी विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी आगे थी, जबकि कांग्रेस चार इलाकों में. दिसंबर, 2024 में हुए लुधियाना नगर निगम चुनाव में भी आम आदमी पार्टी को 95 में से 41 सीटों पर ही जीत मिली थी, और बहुमत से 7 नंबर पीछे रहना पड़ा था. फजीहत तो यहां तक हुई कि दो AAP विधायकों की पत्नियों को भी हार का मुंह देखना पड़ा था. 

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थोड़ी देर के लिए बीजेपी को अलग रख कर देखें, लुधियाना की लड़ाई AAP के लिए इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि कांग्रेस की तरफ से पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु भी मैदान में डटे हुए हैं. भारत भूषण को कथित अनाज घोटाले में गिरफ्तार किया गया था, जिसके लिए उनको दो साल जेल में बिताने पड़े थे. दिसंबर, 2024 में हाई कोर्ट से उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दिये जाने के बाद ही वो बाहर आ सके. तब अदालत ने भी माना था और अब वो भी घूम घूम कर कैंपेन कर रहे हैं कि राजनीतिक दुश्मनी की वजह से ही भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने उनको जेल भेजा दिया था.
 

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