ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (KISS) में कक्षा 9 के एक आदिवासी छात्र की संदिग्ध मौत ने अब गंभीर आपराधिक मामले का रूप ले लिया है. जिसे पहले संस्थान प्रशासन द्वारा टअस्वाभाविक मौतटय बताया गया था, वह अब पुलिस जांच में हत्या साबित हुई है. ट्विन सिटी कमिश्नरेट पुलिस ने मामले में हत्या का केस दर्ज कर जांच तेज कर दी है.
पुलिस के अनुसार, 12 दिसंबर को छात्र की मौत KISS के होस्टल कैंपस में हुई थी. उस समय संस्थान प्रशासन ने छात्र के परिवार को सूचना देकर शव सौंप दिया और कथित तौर पर हार्ट अटैक से मौत की बात कही. परिवार को बिना पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और मेडिकल दस्तावेज दिए गए. बाद में मृतक के परिजनों को संदेह हुआ और उन्होंने केओंझर जिले में जीरो एफआईआर दर्ज कराई, जिसे बाद में भुवनेश्वर के इन्फोसिटी थाने में ट्रांसफर किया गया.
जांच के दौरान केओंझर पुलिस द्वारा कराए गए पोस्टमॉर्टम में मृतक के शरीर पर बाहरी चोटों और गर्दन पर निशान पाए गए. इससे हत्या की आशंका गहरी हो गई. पुलिस की गहन पूछताछ में सामने आया कि छात्र की हत्या उसके ही तीन सहपाठियों ने छात्रावास के वॉशरूम में की थी. बताया गया कि मामूली विवाद के बाद आरोपियों ने छात्र का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी.
पुलिस ने खुलासा किया कि स्कूल परिसर में कुछ नाबालिग छात्रों का एक छोटा समूह एक्टिव था, जिसे ‘जोकर गैंग’ कहा जाता था. आरोप है कि इसी गैंग से जुड़े छात्रों ने इस वारदात को अंजाम दिया और घटना स्थल की दीवार पर गैंग का नाम भी लिखा गया था. तीनों आरोपी छात्र कक्षा 9 के हैं और उन्हें जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष पेश किया गया है.
मामले में लापरवाही और सबूत छिपाने के आरोप में KISS के आठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें अतिरिक्त सीईओ, हेडमास्टर, एक टीजीटी शिक्षक, छात्रावास अधीक्षक और अन्य फील्ड कर्मचारी शामिल हैं. पुलिस का कहना है कि संस्थान प्रशासन ने मेडिको-लीगल केस (MLC) दर्ज नहीं कराया और तथ्यों को छिपाने की कोशिश की.
ओडिशा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (OSCPCR) ने भी संस्थान को इस मामले में लापरवाह ठहराते हुए स्वतंत्र जांच की घोषणा की है. इस घटना ने राज्य भर में आक्रोश पैदा कर दिया है और विशेष रूप से आवासीय शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले आदिवासी और कमजोर वर्ग के छात्रों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.