देश दुनिया के साथ मध्य प्रदेया में नवरात्रि की शुरुआत के साथ गरबा और डांडिया की धूम मची है. मां दुर्गा की भक्ति के बीच भोपाल जिला प्रशासन की गाइडलाइन विवाद का कारण बन गई है. प्रशासन ने गरबा आयोजनों के लिए सख्त नियम जारी किए हैं, जिनमें बिना पहचान पत्र (ID कार्ड) के पंडाल में प्रवेश पर रोक, सीसीटीवी कैमरे, फायर सेफ्टी, प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था और संदिग्ध वस्तुओं व हथियारों पर सख्ती शामिल है. इसके अलावा, विद्युत सुरक्षा के लिए प्रमाणपत्र अनिवार्य किया गया है.
भोपाल के कई गरबा पंडालों के बाहर विवादित पोस्टर भी लगाए गए हैं, जिनमें गैर-हिंदुओं की एंट्री पर रोक का दावा किया गया है. श्रीकृष्ण सेवा समिति ने खुले तौर पर गैर-हिंदुओं के प्रवेश का विरोध किया है.
समिति के अध्यक्ष गोपाल ठाकुर ने कहा, "हमारे त्योहार में आने वालों को गंगाजल पिलाया जाएगा और गौमूत्र का छिड़काव किया जाएगा. यह हमारी परंपरा और आत्मरक्षा का तरीका है. कोई संदिग्ध तत्व घुसपैठ नहीं कर सकेगा." समिति के कार्यकर्ता लट्ठ लेकर पंडालों में तैनात रहेंगे.
उधर, मैहर में 52 शक्ति पीठों में से एक मां शारदा मंदिर में नवरात्रि के दौरान लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मांस, अंडे और मछली की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है.
एसडीएम दिव्या पटेल ने कहा, "मैहर को मध्य प्रदेश सरकार ने धार्मिक शहर घोषित किया है. मां शारदेय नवरात्रि मेला 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक आयोजित होगा, इसलिए मांसाहारी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर रोक लगाई गई है."
कांग्रेस का आरोप
इन नियमों पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता मुकेश नायक ने बीजेपी सरकार और प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा, "प्रशासन बीजेपी नेताओं को खुश करने में लगा है. गरबा पंडालों में धार्मिक आधार पर भेदभाव हो रहा है. नवरात्रि का पवित्र त्योहार राजनीति और नफरत की भेंट चढ़ रहा है. त्योहार अब डर का कारण बन रहे हैं, जबकि यह एकजुटता का अवसर होना चाहिए."
BJP सरकार का जवाब
जवाब में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, "कांग्रेस वोटबैंक को खुश करने के लिए ऐसी बातें करती है, लेकिन बीजेपी हमेशा जनता की भावनाओं के साथ खड़ी रहती है."