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MP: जो जीता वो 'सिकंदर' नहीं अब 'विक्रमादित्य' कहलाएगा, बोले- कुलपति अखिलेश कुमार पांडे

'जो जीता वही सिकंदर', सबने यह मुहावरा खूब सुना होगा और कई बार तो इस्तेमाल भी किया होगा. मगर, उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में इस मुहावरे को बदल दिया गया है. अब से कहा जाएगा 'जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य'. इस अभियान को छेड़ा है विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय ने. उनका कहना है कि हमारे देश में असली आदर्श महाराज विक्रमादित्य हैं.

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विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय

मध्य प्रदेश के उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति ने 'जो जीता वही सिकंदर' मुहावरे को बदलने की बात कही है. उनका कहना है कि हमारे देश में असली आदर्श महाराज विक्रमादित्य हैं. सिकंदर को किसी भी स्थिति में युवाओं के लिए आदर्श के रूप में स्थापित करना गलत है.

दरअसल, बुधवार को विश्वविद्यालय में हुई कार्यपरिषद की बैठक में कुलपति ने कहा कि हमें अपनी विरासत पर गर्व करना चाहिए. हमें अपने महापुरुषों को आदर्श के रूप में स्थापित करना चाहिए. सिकंदर हमारे आदर्श नहीं हो सकते. हम एक अभियान के तहत 'जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य' मुहावरा प्रचलन में लाएंगे.

अब कुलपति के आदेशानुसार प्रोफेसर छात्रों को ये नया मुहावरा पढ़ाएंगे. कुलपति का मानना है कि इससे गुलामी की मानसिकता से आजादी मिलेगी और युवाओं को प्रेरणा मिलेगी.

राष्ट्र को विश्व गुरु बनने के लिए लेने होंगे तीन संकल्प

मामले में कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय ने बताया, "स्वामी विवेकानंद जी युवाओं के आदर्श मान जाते हैं. उन्होंने एक बात कही थी कि 2050 में भारत एक विकसित राष्ट्र होगा और विश्व में विश्व गुरु कहलाएगा. इसके लिए हमारे युवाओं को तीन  संकल्प लेने होंगे. पहला संकल्प विकसित भारत, दूसरा संकल्प विरासत पर गर्व और तीसरा संकल्प गुलामी से मुक्ति था. विरासत पर गर्व हम तब करेंगे, जब अपने अतीत के बारे में जानेंगे." 

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युवाओं का आईकॉन सम्राट विक्रमादित्य- कुलपति

उन्होंने आगे कहा, "जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य मुहावरा ऐसे ध्यान में आया कि हमारे शिक्षक साथी सभी बैठे थे. इस दौरान बोले कि जो जीता वही सिकंदर. इसके बाद मन में आया कि क्या सिकंदर हमारे युवाओं के लिए आईकॉन हो सकता है? वह हमारे देश पर आक्रमण किया. उसको हम अपने युवाओं में क्यों प्रचारित करें? इसके बाद हम सबने संकल्प लिया कि आज से सभी लोग 'जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य' बात करेंगे." 

कुलपति ने आगे कहा, "अगर यह मुहावरा पॉपुलर हो गया, तो कम से कम हमारा युवा वर्ग यह जानेंगे कि सम्राट विक्रमादित्य कौन हैं. महाराज विक्रमादित्य के बारे में जानेंगे, तो डेफिनेटली विक्रम विश्वविद्यालय के एक गौरवशाली इतिहास को पढ़ेंगे. फिर उनके बारे में जानेंगे और सम्राट विक्रमादित्य की कुछ बातों को अपनाने का प्रयास करेंगे. नई शिक्षा नीति का भी यही मुख्य मकसद है."

लिखित में नहीं जारी किया गया कोई आदेश

हालांकि, इस संबंध में कोई लिखित आदेश अभी तक जारी नहीं किया गया है. कुलपति के मुताबिक, वो कोर्स कंटेंट में, अपने तमाम फंक्शन में, सोशल मीडिया पर, कुलपति सम्मेलन, शिक्षाविदों की बैठक, युवा पंचायत आदि सभी स्थानों पर इसे प्रचारित करेंगे.

कांग्रेस विधायक पिसी शर्मा ने पूछा सवाल

वहीं, उनके इस बयान पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है. कांग्रेस विधायक पिसी शर्मा ने कहा कि कुलपति मुहावरे पर ध्यान देने से ज्यादा इस पर ध्यान दें कि यूनिवर्सिटी की रैंकिंग क्या है? वहां कितनी कंपनियां प्लेसमेंट के लिए आती हैं? विक्रम विश्वविद्यालय से पढ़कर निकलने वालों में से कितनों को नौकरी मिलती है? उनका कहना है कि मुहावरा बदलने वाले कुलपति यह भी बताएं कि यूनिवर्सिटी की रैंकिंग को सुधारने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं?  

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