राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि रक्तजनित रोगों विशेष कर सिकल सेल एनीमिया की रोकथाम के लिए व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि उनका अनुभव है कि आर्थिक रूप से गरीब और दूरस्थ अंचल में रहने वाले जनजातीय लोगों के लिए चिकित्सा केन्द्रों तक पहुंचना अपेक्षाकृत कठिन है. इसके लिए हमें चिन्हित समुदाय के घरों तक विज्ञान को पहुंचाना होगा. सर्वेक्षण, जांच, जेनेटिक काउंसलिंग, स्वास्थ्य शिक्षा और जनजागृति के कार्यों को व्यापकता प्रदान करनी होगी.
राज्यपाल भोपाल स्मारक अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र (BMHRC) में आयोजित हिमोग्लोबिनोपैथी की रोकथाम और प्रबंधन पर दो दिवसीय नैदानिक प्रशिक्षण कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कार्यशाला की स्मारिका का लोकार्पण किया. कार्यशाला का आयोजन भोपाल स्मारक अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र के रक्ताधान विभाग द्वारा भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से किया गया है.
चिकित्सा संस्थानों के लिए रेफरल प्रणाली को प्रभावी बनाना होगा
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि सिकल सेल आनुवंशिक स्वरूप, व्यक्ति में वाहक तथा रोगी के रूप में होना और 21 प्रकार के अन्य रोगों की उत्पत्ति का मूल होता है, जरूरी है कि अंतिम स्तर तक रोग की स्क्रीनिंग, जांच, जेनेटिक काउंसलिंग, विवाह परामर्श और गर्भावस्था की जांच और चिकित्सकीय परामर्श के कार्य व्यापक स्तर पर किए जाए. वंचित वर्गों, दूरस्थ अंचलों में चिकित्सा शिविरों के आयोजन के साथ ही हिमोग्लोबिनोपैथी रोगों के बारे में अंचल के स्कूल कॉलेजो के शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का संवेदीकरण किया जाना जरूरी है. रोग के पैटर्न, आवश्यक जीवन शैली और खान-पान की जानकारियों के प्रसार में नवाचार किये जाए. उच्च दक्षता के चिकित्सा संस्थानों के लिए रेफरल प्रणाली को मज़बूत बनाया जाएं. साथ ही रोग प्रबंधन प्रयासों में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के ज्ञान और परम्परा को प्रमाणिक स्वरूप जोड़ा जाए.
रोकथाम, प्रबंधन प्रयासों में सबका साथ और प्रयास जरूरी
पटेल ने बताया कि करीब 45 वर्ष पहले सिकल सेल रोगी बच्चा उनके संपर्क में आया था, जिसको मुम्बई ले जाकर चिकित्सक को दिखाने के बावजूद उसकी 4 माह में मृत्यु हो गई थी. इस घटना ने उन्हें गहरे से प्रभावित किया. तभी से वे इस दिशा में कार्य कर रहे है. उन्होंने गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में सिकल सेल एनीमिया रोग उन्मूलन के लिए किए गए प्रयासों का संदर्भ देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन के लिए मिशन बना कर 15 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. रोकथाम और प्रबंधन प्रयासों में सबके साथ और प्रयासों की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जनजातीय बहुल 20 जिलों में व्यापक स्तर पर रोग प्रबंधन के कार्य कर रही है. करीब 12 लाख जेनेटिक कार्ड का भी वितरण किया है. चिकित्सकों से अनुरोध किया है कि वे अपने प्रभाव का उपयोग कर, समाज के समृद्ध वर्ग और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को वंचित वर्गों के रोग उन्मूलन प्रयासों में सहायता के लिए प्रेरित करें.
कार्यशाला में केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय की स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. विनीता श्रीवास्तव ने बताया कि राज्यपाल के द्वारा गुजरात राज्य के जनजातीय कार्य मंत्री के रूप में उनके कार्यों, राज्यपाल के रूप में परामर्शों ने विभाग का मार्ग दर्शन किया है. उनके सुझाव पर सिकल सेल सेन्टर ऑफ कॉम्पीटेन्स तैयार किया जा रहा है. आयुष विभाग के साथ मिलकर स्क्रीनिंग के प्रयास किए है. बच्चों में एनीमिया को चिन्हित करने के लिए स्वास्थ्य प्रणाली विकसित की गई है. जीन एडिटिंग के लिए शोध कार्य शुरू हो गया है. जनजागृति और रोग प्रबंधन के लिए मॉडयूल तैयार कर स्वयं सहायता समूहों समाज सेवी संस्थाओं को जोड़ कर अंतिम कड़ी तक पहुंचने के प्रयास किए गए हैं.
भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद की प्रतिनिधि डॉ. गीता जोधवानी ने कहा कि समुदाय तक पहुंचने के लिए मैदानी कार्यकर्ताओं और चिकित्सकों को प्रशिक्षित कर क्षमता उन्नयन के प्रयास जरूरी है. उन्होंने कहा कि रोकथाम और उपचार प्रयासों के लिए आधुनिक उपचार की स्वदेशी तकनीकें विकसित करने शोध कार्य किया जाए. उन्होंने रोगियों के लिए चिकित्सालयों में सिकल सेल वार्ड बनाये जाने की भी जरूरत बताई.