scorecardresearch
 

कफ सिरप में ऑयल सॉल्वेंट के शक से हड़कंप, डॉक्टर का दावा- बायोप्सी रिपोर्ट में मिला 'टॉक्सिक पदार्थ'

MP के छिंदवाड़ा में 30 दिन के भीतर 9 मासूमों की मौत से कफ सिरप सवालों के घेरे में है. सवाल है कि सर्दी-खांसी में दी गई वही दवा क्या जहर साबित हुई? हालांकि, MP सरकार के स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि अंतिम रिपोर्ट तक इंतज़ार करने के बाद ही कहा जा सकेगा कि मौतें कफ सिरप से हुईं या फिर किसी और पदार्थ से...

Advertisement
X
⁠Coldrif कफ सिरप तमिलनाडु की Sresan Pharmaceutical बनाती है.(Photo:Screengrab)
⁠Coldrif कफ सिरप तमिलनाडु की Sresan Pharmaceutical बनाती है.(Photo:Screengrab)

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में किडनी फेलियर से बच्चों की मौत का सिलसिला रुक नहीं रहा. स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है, क्योंकि पिछले 30 दिनों में मृतकों की संख्या 9 तक पहुंच गई. बुधवार को नागपुर में इलाज के दौरान एक और बच्चे की मौत हो गई. जानकारी के अनुसार, यह सिलसिला 4 सितंबर को पहली मौत के साथ शुरू हुआ और एक महीने में 9 बच्चों की जान चली गई. इस गंभीर स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन सक्रिय हैं. 

परासिया के SDM सौरभ कुमार यादव ने बताया कि अब तक 1400 बच्चों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है और यह अभियान जारी है. प्रतिदिन 120 बच्चों की स्क्रीनिंग हो रही है ताकि संभावित मामलों की जल्द पहचान कर इलाज किया जा सके.

परासिया क्षेत्र में वायरल फीवर के शुरुआती इलाज के बाद बच्चों को छिंदवाड़ा रेफर किया गया, जहां उनकी किडनी में गंभीर संक्रमण पाया गया. बाद में उन्हें नागपुर रेफर किया गया, जहां एक-एक कर 9 बच्चे मौत की नींद सो गए.

शिवम, विधि, अदनान, उसैद, ऋषिका, हेतांश, विकास, चंचलेश और संध्या- ये वे नाम हैं जिनकी हंसी उनके परिवारों से हमेशा के लिए छिन गई. परिजन समझ नहीं पा रहे कि डॉक्टर के कहने पर दी गई दवा, जो उनके बच्चों को ठीक करने वाली थी, उनकी जान ले लेगी.

Advertisement

इलाके करने वाले डॉक्टर बोले- 

आजतक की टीम परासिया पहुंची और उस डॉक्टर से बात की, जिसने इनमें से 6 बच्चों का इलाज किया था. परासिया के डॉ. प्रवीण सोनी, जो सरकारी डॉक्टर हैं और निजी क्लिनिक भी चलाते हैं. उन्होंने 9 में से 6 बच्चों का इलाज किया था. वे परासिया के प्रमुख शिशु रोग विशेषज्ञों में से हैं और सिविल अस्पताल की ड्यूटी के बाद अपने क्लिनिक में मरीज देखते हैं. 

मामले में नाम आने पर डॉ. सोनी ने सफाई दी कि इस साल का वायरल बुखार पिछले वर्षों से अलग है. लोग सर्दी-खांसी में स्वयं दवा ले लेते हैं और हालत बिगड़ने पर उनके पास आते हैं. उन्होंने कहा, "मैं 38 साल से प्रैक्टिस कर रहा हूं."

'टॉक्सिक पदार्थ' से किडनी हुई फेल: डॉ. प्रभाकर तिवारी
 
भोपाल में NHM के सीनियर ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया, ''सिरप के सैंपल लिए गए हैं, लेकिन रिपोर्ट अभी आनी बाकी है. मृतक बच्चों की बायोप्सी रिपोर्ट से स्पष्ट है कि उनकी किडनी ने किसी 'टॉक्सिक पदार्थ' के कारण काम करना बंद कर दिया. यह पदार्थ कफ सिरप में था या किसी अन्य चीज में, यह जांच का विषय है. डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) का नाम बार-बार सामने आ रहा है, जो एक औद्योगिक पदार्थ है. यदि यह सिरप में मौजूद है, तो यह अत्यंत खतरनाक है, क्योंकि इसका थोड़ा-सा अंश भी नहीं होना चाहिए.''

Advertisement

'रिपोर्ट में मौत का कारण दवा नहीं'

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि सरकार अंतिम रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही है. प्रारंभिक सैंपल रिपोर्ट में ऐसा कोई तत्व नहीं मिला, जिससे दवाओं को मौत का कारण माना जाए. मध्यप्रदेश और केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग के बीच लगातार बातचीत चल रही है. अंतिम रिपोर्ट जल्द आने की उम्मीद है, जिससे स्पष्ट होगा कि मौतें दवा से हुईं या किसी अन्य कारण से.

बहरहाल, सरकार और प्रशासन चाहे जो कहें, सच यह है कि 30 दिनों से मासूमों की मौतें जारी हैं. परिवार सदमे में हैं, और सिस्टम अब जवाब तलाश रहा है. सवाल यह है कि क्या कफ सिरप ही इन मासूमों का कातिल है, या किसी अन्य जहर ने 9 जानें लीं? जब तक सच्चाई सामने नहीं आती, छिंदवाड़ा के गांवों में हर मां अपने बच्चे की खांसी से डर रही है, कि कहीं वही खांसी उनके बच्चे की आखिरी सांस न बन जाए.

कफ सिरप के बारे में:-

- Coldrif कफ सिरप 89 रुपये का मिलता है 
- ⁠Nextro DS कफ सिरप 75 रुपये का है 
- ⁠Coldrif कफ सिरप तमिलनाडु की Sresan Pharmaceutical बनाती है 
- ⁠Nextro DS कफ सिरप हिमाचल में बनती है 
- एमपी में इनका सप्लायर कटारिया फार्मा (जबलपुर) है 
* एमपी में अबतक सिर्फ छिंदवाड़ा में सप्लाई मिली

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement