scorecardresearch
 

'मुझे इत्तेफाक बेहद पसंद हैं...', साहित्य आजतक के मंच पर छाईं रुचिका लोहिया

रुचिका लोहिया ने साहित्य आजतक के मंच दस्तक दरबार पर अपनी कविताओं के जरिए जिंदगी के सच्चे अनुभव और संघर्ष साझा किए. जोधपुर की रहने वाली रुचिका ने अपने पॉडकास्ट और इंस्टाग्राम पर भी अपनी कविताओं से लोगों का दिल जीता है.

Advertisement
X
साहित्य आजतक के मंच पर रुचिका लोहिया ने सुनाईं अपनी कविताएं
साहित्य आजतक के मंच पर रुचिका लोहिया ने सुनाईं अपनी कविताएं

साहित्य आजतक के खास मंच दस्तक दरबार पर हाजिर हुईं रुचिका लोहिया... अपनी खास बात 'बातों की बात' लेकर. इसे अब तक आप लोगों ने उनके पॉडकॉस्ट '‘Chikka on Roll’ पर सुना होगा. इंस्टा पर स्क्रॉल करते हुए उनकी उन कविताओं से रूबरू हुए होंगे, जो सीधे-सीधे जिंदगी से जुड़ जाती हैं. इन कविताओं में है सच्चाई, सच्चे अनुभव, अपनी जिंदगी के कुछ हसीन तो कुछ संघर्ष भरे पल.

जिन्हें शब्दों के साथ पिरोकर रुचिका लोहिया सीधी-सादी सरल कविता में बदल देती हैं.  राजस्थान के जोधपुर की रहने वाली रुचिका लोहिया अपने सपनों को जी रही हैं और उनके पास हर उस सवाल का जवाब है उनकी कविताओं में है, जो वक्त-वक्त पर 'चार लोगों' ने उनसे पूछा.

देखिए उन्होंने कविता में क्या कहा-

बातों की बात ये है कि
बातें लोगों को नहीं ढूंढती
लोग बातों को ढूंढते हैं
जो सुनना होता है
उस तक लोग अपना
रास्ता बना के पहुंच जाते हैं,
बातों में गुरबत है,

जो बिना छुए जेहन को चूम के निकलती है
जो हादसों को बिना जोर रोक देती है
बातें तो तकिए की रुई है 
जो नरम हर हाल में रखती है
बातें वो भाप हैं जो गरम उबलते दूध से न
निकल जाती हैं
बातों की कामयाबी जोर में नहीं मगर हल्के में होती है

Advertisement

इसकी जीत चीख में नहीं
मगर बात खतम होने के बाद वो दो मिनट की चुप्पी उसमें होती है.

रुचिका कहती हैं कि आज वह इस स्टेज पर हैं तो उन्हें महसूस हो रहा है कि इस जहान में कायनात से ऊपर कुछ भी नहीं है. वह कहती हैं कि मुझे तो कुछ और बनना था पर आज आप लोग के साथ खड़ी हूं. कायनात कभी-कभी इतनी खूबसूरत चीजें कर देती है कि आपको कहीं न कहीं लगता है कि इत्तेफाक बहुत खूबसूरत हैं. कई बार ये पूरी जिंदगी बदल देते हैं.

मुझे न इत्तेफाक बेहद पसंद हैं
क्योंकि इत्तेफाक से बने रिश्ते कितने खास होते हैं
इत्तेफाक वाली मुलाकातें कितनी यादगार होती हैं.
बिना सोचे जब कुछ मिल जाए तो इन तोहफों की कीमत बढ़ जाती है
इत्तेफाक से कहीं पहुंच जाएं तो एक खूबसूरत दास्तां बन जाती है
बिना कोई रिश्तेदारी के कोई रिश्ता निभा ले
रात के अंधेरे में कोई घर तक पहुंचा दे
बुरे वक्त पर कोई कस कर गले लगा ले
जब किसी के वजह से नहीं, मगर कायनात के हाथों की चीजें हकीकत बन जाएं
तो कितना सच्चा लगता है न
असल में तो ये अनजाने में हुई चीजें न पहेली जैसी होती है
जिनका मतलब तो बहुत गहरा होता है
पर काफी वक्त बाद समझ आता है
काफी वक्त बाद समझ आता है

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement