कंपोजर, गीतकार और स्क्रिप्ट राइटर कौसर मुनीर ने फिल्म इंडस्ट्री में कंपोजर्स और सिंगर्स की लाइफ से जुड़ी परेशानियों के बारे में बात की. उन्होंने एक छोटा सा किस्सा 'साहित्य आजतक 2022' में सुनाते हुए कहा कि आज भी स्टूडियोज के अंदर महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट्स नहीं बने हैं. पुरुष जिस टॉयलेट में जाते हैं, उसी को हमें भी इस्तेमाल करना पड़ता है.
कौसर मुनीर ने बताई परेशानी
महिला के लिए मुश्किल होता है अपनी जगह बनाना, फिर चाहे वह कोई भी फील्ड क्यों न हो. फिल्म इंडस्ट्री में बहुत कम लेखिका हैं जो एक्टिव हैं. ज्यादातर पुरुष ही इस फील्ड में परचम लहराते दिखते हैं. कोई एक ऐसी परेशानी जो आज के समय में भी बतौर महिला आप झेल रही हैं.
इस सवाल का जवाब देते हुए कौसर मुनीर ने कहा, "एक बहुत ही अटपटा सा लगेगा सुनने में, मैं अगर जमीनी बात बताऊं तो टॉयलेट्स की बहुत दिक्कत होती है. स्टूडियो में अलग से महिलाओं के लिए टॉयलेट्स ही नहीं हैं. हमें पुरुष वाले टॉयलेट में जाना पड़ता है."
"यह समस्या केवल स्टूडियो में ही नहीं, बल्कि रिकॉर्डिंग रूम्स और इवेंट्स में भी होती है. महिलाएं बहुत कम हैं जो कंपोजर्स हैं. जो लिरिसिस्ट्स हैं जो लेखिका हैं. मैं अब जाकर कहने लगी हूं कि मैं पुरुष वाले टॉयलेट में नहीं जाऊंगी, उसमें जाऊंगी जो आपके हेड या फिर डायरेक्टर इस्तेमाल करते हैं. छोटी सी बात है, लेकिन बहुत बड़ी बात है. हमें अपनी जगह बनानी पड़ेगी. पैर दरवाजे में अड़ाना पड़ेगा जो मैंने अड़ा दिया है."
"एक चीज है फिल्म इंडस्ट्री के बारे में, खासकर उनके लिए जो नॉन परफॉर्मिंग आर्टिस्ट्स हैं, उनके लिए अलग दुनिया है. अलग रूल्स हैं. लेकिन हमारे लिए चीजें मेरिट पर हैं. अगर आपने अच्छा गाना लिखा तो आपके खाते में वह हिट या फ्लॉप दर्ज होगा, फिर चाहे आप पुरुष हों या फिर महिला. हालांकि, छोटी-छोटी चीजों के लिए हमें आवाज उठानी पड़ेगी, जैसे टॉयलेट महिला के लिए अलग न होना एक समस्या आज भी बनी हुई है."