इस कविता संग्रह के गूढ़ नाम पर मत जाइए. पूनम सिन्हा 'श्रेयसी' का यह पहला प्रयास है और इस संग्रह में प्रकाशित उनकी इक्यावन कविताएं साहित्य जगत में उनका पदार्पण कराती हैं.
संग्रह की पहली कविता 'फिर मिलेंगे हम' है. जैसा कि शीर्षक ही है, यह अपने प्रिय से फिर से मिलने की उम्मीदों से भरी कविता है. लेकिन हमने और आपने ऐसी कम से कम दो सौ कविताएं पहले ही पढ़ रखी हैं. खासकर, फेसबुक और सोशल मीडिया के दौर में, जहां हर कोई कवि है, ऐसी कविता बिलकुल भी प्रभावित नहीं करती.
पूनम सिन्हा की कविताओं में तत्सम शब्दों का प्रयोग अधिक है. लेकिन इऩकी कुछ कविताओं में ऐसे शब्द संप्रेषण की बजाय भाषा के प्रवाह को रोकते से लगते हैं. लेकिन, जैसे ही संग्रह की कविता कछुआ आती है, वहां से पूनम सिन्हा के कविताओं का एक नया और ताजगी भरा तेवर देखने को मिलता है. उनकी कविताओं की कुछ शीर्षकों की बानगी देखिएः कंघी, कैंची, झाड़ू, और सुई. उन कविताओं में पूनम सिन्हा सर्वश्रेष्ठ है.
छोटी पंक्तियां और आसानी से बहते जाने वाले विचार.
पर्वत का दुख में वह लिखती हैं,
माटी यूं ही नहीं
पर्वत बना होगा
कितना बंटा-बंटा सा
किसी का न हो सका होगा.
अपनी तीन तीन, चार-चार शब्दों वाली कविता की पंक्तियों से कई कविताओं में वह संप्रेषणीय हैं और उन्हें इसी शैली में बने रहना चाहिए था, लेकिन आखिरी पृष्ठों में जाकर वह गेय शैली की एक कविता रे पथिक तनिक तू सुनता जा शामिल करने से खुद को रोक नहीं पाईं.
कुल मिलाकर अपनी चिर-परिचित शैली को अगर पूनम बरकरार रख पाती हैं, तो उनके दूसरे संग्रह में सुधार और विकास की गुंजाइश अधिक है.
कविता संग्रहः तेरी हंसी- कृष्ण विवर सी
कवयित्रीः पूनम सिन्हा ' 'श्रेयसी'
प्रकाशकः शिवना पेपरबैक्स
कीमतः 140 रु.