हिंदी की दुनिया में निर्मल वर्मा ऐसे कथाकार उपन्यासकार और चिंतनशील गद्य लेखक हैं जो अपनी भाषा और मंथर गति से शांत धीर बहती हुई किस्सागोई से पहचाने जाते हैं. मनुष्य के चित्त और चैतन्य, नियति और प्रारब्ध के जटिल सूत्रों का उद्धाटन करने वाले निर्मल वर्मा की जयंती पर उनके लेखन व्यक्तित्व पर प्रकाश डाल रहे हैं समालोचक ओम निश्चल
एक विदुषी स्त्री और शिक्षक से कहीं इतर मन्नू भंडारी एक कथाकार के रूप में बहुत बड़ी हैं. उनकी सीधी-साफ भाषा, शैली का सरल और आत्मीय अंदाज, सधा शिल्प और कहानी के माध्यम से जीवन के किसी स्पन्दित क्षण को पकड़ना उन विशेषताओं में है, जिसने उन्हें लोकप्रिय बनाया.
हिंदी कविता में पहली बार किसी स्त्री को साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत किए जाने को जब एक ऐतिहासिक घटना की तरह रेखांकित किया जा रहा है, तब साहित्य आजतक पर पढ़िए उनसे हुई खास बातचीत.
समकालीन कविता परिदृश्य में अनामिका का बीते चार दशकों से हस्तक्षेप रहा है. हाल के वर्षों में स्त्री विमर्श की भी वे एक प्रमुख हस्ताक्षर रही हैं. जिस संग्रह 'टोकरी में दिगन्त: थेरी गाथा 2014' पर उन्हें यह पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया है, वह बुद्धकाल की थेरियों के बहाने स्त्री प्रजाति की पीड़ा और मुक्ति का आख्यान है.
वरिष्ठ साहित्यकार शरद पगारे को वर्ष 2020 के लिए केके बिड़ला फाउंडेशन की तरफ से व्यास सम्मान की घोषणा की गई है. यह सम्मान उन्हें वर्ष 2010 में आए उनके उपन्यास 'पाटलीपुत्र की सम्राज्ञी' के लिए दिया गया है.
हिंदी कवि प्रेमशंकर शुक्ल ने प्रकृति को अपनी संवेदना के सबसे निकट पाया है. उनके जन्मदिन पर साहित्य आजतक पर उन्हें याद कर रहे हैं हिंदी के सुधी कवि, समालोचक डॉ ओम निश्चल
कविता का और मेरा पुराना साथ है. कभी-कभी तो लगता है, जन्म-जन्मांतरों का. बचपन और किशोरावस्था की लटपट कोशिशों को छोड़ दें, तो सन् 1970 के आसपास बाकायदे कुछ न कुछ लिखने और नियमित लिखते रहने की शुरुआत हुई.
हिंदी कविता की परंपरा यों तो बहुत पुरानी है. पर निर्विवाद रूप से आधुनिक कविता के दो बड़े कवि हैं उनमें एक सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हैं दूसरे गजानन माधव मुक्तिबोध. एक छायावाद के प्रमुख स्तंभ हैं दूसरे समकालीन कविता के.
धर्म और जाति से परे, सनातन धर्म के मूल, परम तत्व को जीवन में अपनाने वाले, महान आध्यात्मिक संत, समाजसेवी, मानवता के परमपोषक, मां काली के उपासक, स्वामी विवेकानंद के गुरु, दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पुजारी स्वामी रामकृष्ण परमहंस की जयंती पर पढ़िए साहित्य आजतक की विशेष प्रस्तुति.
सोबती की जयंती जब भी आती है, उनके लेखन का जादू सिर चढ़कर बोलता है. उन्हें गए दो साल हो गए. वे यों तो सभा समारोहों में बहुत नहीं जाती थीं पर जहां जाती थीं, आकर्षण का केंद्र होती थीं.
नरेश मेहता भारतीय काव्य परंपरा में जयशंकर प्रसाद की तरह वैदिक मंत्रों से रस खींचने वाले कवि थे. उनकी जयंती पर साहित्य आजतक पर उन्हें याद कर रहे हैं कवि, समालोचक डॉ ओम निश्चल