कविता में गए छह दशक से स्थापित और सक्रिय अशोक वाजपेयी 80 वर्ष के हो गए. उन्होंने कविता, कला, साहित्य, संस्कृति के क्षेत्र में विमर्श, विवाद, संवाद, प्रतिवाद का एक सुदीर्घ जीवन जीया है. उनकी कविताओं में कोमलता और सांसारिकता का गान भी है कवि का उत्तरदायित्व भी.
बचपन, जो बेपरवाह होता है हर उलझन से, संकट से, वही जब संकट में हो तो हमारे दौर में उसको बचाने की जो सबसे ताकतवर आवाज सुनाई देती है, वह है कैलाश सत्यार्थी की. नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के जन्मदिन पर उनकी पुस्तक कोविड-19: सभ्यता का संकट और समाधान' पर विशेष बातचीत
साल 2020 लगभग गुजर सा गया है. यह ऐसा साल था, जिसका अधिकतर वक्त कोरोना नामक महामारी से जूझने व प्रभाव में गुजरा. इस बीच कई कलमजीवी, कवि, कलाकार हमारे बीच से चले गए. इस जीवनावसान से साहित्य और शब्द की दुनिया की क्षति का जायज़ा साहित्य आजतक पर ले रहे हैं डॉ ओम निश्चल.
हिंदी कविता के विवेचन मूल्यांकन पर गए दो-तीन दशकों को गौर से देखा जाए तो इस क्षेत्र में ओम निश्चल नामक एक शख्स पूरे मन और समर्पण से संलग्न रहा है. निश्चल के जन्मदिन पर उनके साहित्यिक अवदान की चर्चा कर रहे हैं डॉ आनंद वर्धन द्विवेदी
हिंदी की बिंदास और बेबाक विचारों वाली लेखिकाओं में मैत्रेयी पुष्पा अग्रगण्य हैं. उनके 76वें जन्मदिवस के अवसर पर उनकी पुस्तक 'वह सफ़र था कि मुकाम था' के कुछ अंश
मृदुला सिन्हा लोक संस्कृति के पहलुओं पर लिखने वाली रचनाकार थीं. उनकी कहानियां गांव-घर-देहात की, लोक रस में पगी कहानियां हैं. अपनी राजनीतिक आपाधापी में भी वे लिखने का वक्त निकाल लेती थीं.
हिंदी की दुनिया में कैलाश वाजपेयी एक अलग तरह के कवि थे. अपने पहनावे व चिंतन दोनों में. उनके भीतर भारतीयता को लेकर न गांठें थीं न पाश्चात्य चिंतन से अरुचि. उनका लेखन चिंतन इस बात का साक्ष्य है.
अदम गोंडवी का होना शायरी के उस मिजाज़ का अवतरण है, जिसने सत्ता का कभी मुँह नहीं जोहा, जीवन में कभी समझौते नहीं किए. अदम की जयंती पर उनकी शायरी और शख्सियत पर एक तहरीर
साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार के केंद्र में एक अरसे बाद कोई कवयित्री थी, वह भी अमेरिकी कवयित्री लुईस ग्लिक. ग्लिक के पुरस्कृत होने के मायने शब्दों की दुनिया के लिए क्या है? पढ़ें यह विश्लेषण
हाथरस अभी चर्चा में है. एक बेटी के कथित बलात्कार, बर्बर हत्या, दबंगों के जुल्म और पुलिसिया व्यवहार को लेकर. लेकिन वही हाथरस कभी काका हाथरसी के कटाक्ष के लिए जाना जाता था. ऐसा-व्यंग्य जिसमें आज के हालात के संकेत भी थे.
दिनकर जितने राष्ट्रीयता, ओज और वीर रस के कवि थे, उतने ही श्रृंगार के भी अद्भुत कवि थे. उर्वशी इसका प्रमाण है. दिनकर की जयंती पर उनके श्रृंगार काव्य की एक पड़ताल