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लाइफस्टाइल

प्लास्टिक या लोहा, किस पर ज्यादा देर जिंदा रहता है कोरोना?

प्लास्टिक या लोहा, किस पर ज्यादा देर जिंदा रहता है कोरोना?
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भारत में कोरोना वायरस से मौत का पहला मामला सामने आ चुका है. गुरुवार को कर्नाटक के कलबुर्गी में 76 वर्षीय एक शख्स की मौत इस जानलेवा वायरस की वजह से हुई. चूंकि यह वायरस सरफेस के जरिए लोगों तक अपनी पहुंच बना रहा है, इसलिए लोग सार्वजनिक स्थलों पर किसी भी चीज को छूने से काफी डर रहे हैं.
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जर्नल ऑफ हॉस्पिटल में पिछले सप्ताह प्रकाशित एक रिपोर्ट में कोरोना वायरस से जुड़ी खास जानकारी सामने आई थी. यह वायरस किस चीज पर कितनी देर तक जिंदा रह सकता है, इसके बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई थी.
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रिपोर्ट के अनुसार, किसी भी चीज के सरफेस पर कोरोना वायरस कितनी देर टिकेगा ये उस जगह के तापमान पर निर्भर करता है. आइए अब आपको बताते हैं कि यदि किसी जगह का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस है तो कोरोना वायरस अलग-अलग सरफेस पर कितनी देर टिकेगा.
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स्टील की परत पर कोरना वायरस दो दिनों तक टिका रहता है. बस या मेट्रो में पैसेंजर सपोर्ट के लिए बने पिलर स्टील के ही बने होते हैं. ऐसे में सार्वजनिक जगहों पर ऐसी किसी भी चीज को छूने से बचने की सलाह दी जाती है.
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शीशे या लकड़ी के सरफेस पर कोरोना वायरस चार दिनों तक एक्टिव रह सकता है. यानी अगर आप चार दिन बाद भी शीशे या लकड़ी से कोरोना वायरस के संपर्क में आते हैं तो आपके लिए खतरा हो सकता है.
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ठोस धातु प्लास्टिक या मिट्टी के बर्तनों के सरफेस पर कोरोना वायरस तकरीबन 5 दिनों तक जिंदा रह सकता है. SARS फैमिली के वायरस एल्यूमीनियम पर 2 से 8 घंटे तक अपना असर बरकरार रखते हैं.
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इसके अलावा रबड़ या रबड़ से बनी किसी चीज पर ये वायरस कम से कम 8 घंटे तक जिंदा रहते हैं.
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द लैंसट में प्रकाशित एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद व्यक्ति की 37 दिनों के भीतर मौत होने की संभावना रहती है. जुकाम और गले में सूजन से शुरू होने वाला यह वायरस बड़ी तेजी से इंसान के फेफड़ों को खराब कर उसे मौत की तरफ ले जा सकता है.
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हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस का शिकार होने पर रोगी व्यक्ति को कम से कम 14 दिनों के लिए आइसोलेशन में रखा जाना जरूरी है.
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प्लास्टिक या लोहा, किस पर ज्यादा देर जिंदा रहता है कोरोना?
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शोधकर्ताओं ने इस रिसर्च में वुहान अस्पताल के 191 कोरोना वायरस पीड़ितों के सैंपल लिए थे. इस बीच डॉक्टर्स ने कोरोना वायरस के आरएनए का भी पता लगाया जिससे उसके जेनेटिक की पहचान की गई.

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