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World Asthma Day 2025: तेजी से फैल रहा है अस्थमा, जानें लक्षण और बचाव के तरीके

अस्थमा होने की सिर्फ कोई एक वजह नहीं होती है. अगर आपके परिवार में पहले से किसी को अस्थमा रहा है, तो आप भी इस बीमारी के जद में आ सकते हैं. इसके अलावा तम्बाकू के धुएं, वायु प्रदूषण, धूल के कण के चलते भी आप अस्थमा जैसी सांस की बीमारी का शिकार हो सकते हैं. 

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Asthma treatment
Asthma treatment

अस्थमा फेफड़ों की बीमारी है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करती है. यह वायुमार्ग में सूजन और सिकुड़न की वजह बनता है, जिससे सांस लेने में दर्द और कठिनाई होती है.अस्थमा के बढ़ते मरीजों को देखते हुए हर साल 6 मई विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है, ताकि इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके.

अस्थमा होने की सिर्फ कोई एक वजह नहीं होती है. अगर आपके परिवार में पहले से किसी को अस्थमा रहा है, तो आप भी इस बीमारी के जद में आ सकते हैं. इसके अलावा तम्बाकू के धुएं, वायु प्रदूषण, धूल के कण के चलते भी आप अस्थमा जैसी सांस की बीमारी का शिकार हो सकते हैं. 

अस्थमा के मरीजों में दिखते हैं ये लक्षण

>सांस लेने में तकलीफ: सांस लेने में कठिनाई, विशेष रूप से रात में या सुबह के समय.
>सीने में जकड़न: सीने में दबाव या भारीपन का अहसास.
>खांसी: लगातार या रुक-रुक कर होने वाली खांसी, खासकर रात में या व्यायाम के बाद.
>घरघराहट: सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज (व्हीजिंग).
>थकान: सांस की कमी के कारण थकान या कमजोरी महसूस होना.

क्या अस्थमा के मरीजों का इलाज हो सकता है?

अस्थमा को पूरी तरह से ठीक तो नहीं किया जा सकता, लेकिन सही इलाज, लाइफस्टाइल में बदलाव और बचाव के उपायों से इसे कंट्रोल किया जा सकता है. अगर आप या आपके परिवार में कोई अस्थमा से पीड़ित है, तो इस बीमारी को समझना और सही उपाय अपनाना बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं अस्थमा के इलाज और बचाव के प्रभावी तरीकों के बारे में.

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इन्हेलर और दवाओं के इस्तेमाल से भी अस्थमा को कर सकते हैं कंट्रोल

डॉक्टर के द्वारा दी गई ब्रोंकोडायलेटर्स  और स्टेरॉइड इन्हेलर से अस्थमा को कंट्रोल किया जा सकता है. इसके अलावा गंभीर अस्थमा के मामलों में नेबुलाइज़र से दवा सीधे फेफड़ों तक पहुंचा कर इसे नियंत्रित किया जा सकता है. वहीं, एलर्जी के कारण होने वाले अस्थमा को एंटी-हिस्टेमिन दवाओं से कंट्रोल किया जाता है.

अस्थमा मरीजों के लिए जीवनशैली में बदलाव जरूरी

प्राणायाम, अनुलोम-विलोम और दीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें इससे श्वसन तंत्र मजबूत होगा. साथ ही अस्थमा की गंभीरता को समझने के लिए डॉक्टर से नियमित जांच कराएं. जीवनशैली में बदलाव लाएं धूल-धुएं वाली जगहों पर जाने से बचें एंटी-ऑक्सीडेंट युक्त भोजन (फल, सब्जियां) को खाएं. बॉडी में हाइड्रेशन बनाए रखें. धूम्रपान ना करें.

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