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Liquid Biopsy: क्या है लिक्विड बायोप्सी टेस्ट, जिससे कैंसर की पहचान करने में होती है आसानी!

Liquid Biopsy: पिछले कई सालों से ना केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी देश में कैंसर के इलाज को आसान बनाने, इसके समय पर निदान के लिए कई रिसर्च, तकनीकी विकास और बेहतरीन दवाइयां बनाई गई हैं. जहां पहले कैंसर का निदान करने के लिए बायोप्सी (जो बेहद दर्दनाक होती थी) की जाती थी, वहीं हाल ही में इसके निदान के लिए लिक्विड बायोप्सी टेस्ट विकसित किया गया है.

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क्या होता है लिक्विड बायोप्सी टेस्ट?
क्या होता है लिक्विड बायोप्सी टेस्ट?

What is Liquid Biopsy: कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे हर साल लाखों लोग अपनी जिंदगी गंवा देते हैं. इस बीमारी का जोखिम साल-दर-साल बढ़ता जा ही रहा है. आलम यह है कि पहले जहां इसके मामले बड़े-बुजुर्गों में देखने को मिलते थे, वहीं अब बच्चे भी इस जानलेवा रोग का शिकार हो रहे हैं. मेडिकल की दुनिया में इस गंभीर बीमारी और इसके इलाज से जुड़ी नई-नई रिसर्च हो रही हैं. ऐसे में पहले की तुलना में अब कैंसर की पहचान करने और इसके इलाज को आसान बना दिया है. 

पिछले कई सालों से ना केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी देश में कैंसर के इलाज को आसान बनाने, इसके समय पर निदान के लिए कई रिसर्च, तकनीकी विकास और बेहतरीन दवाइयां बनाई गई हैं. जहां पहले कैंसर का निदान करने के लिए बायोप्सी (बेहद दर्दनाक) की जाती थी, वहीं हाल ही में इसके निदान के लिए लिक्विड बायोप्सी टेस्ट विकसित किया गया है. यह टेस्ट कम दर्दनाक होता है. आइए जानते हैं क्या है लिक्विड बायोप्सी और यह बायोप्सी से कितनी अलग है. 

क्या होती है बायोप्सी?

'बायोप्सी' के एक तरह की मेडिकल जांच (टेस्ट) है, जो शरीर में कैंसर के निदान के लिए की जाती है. इसमें शरीर के संदेहास्पद हिस्से (जैसे गांठ, टिशू, या किसी भी अंग) से थोड़ा सा सैंपल (उस अंग का छोटा सा टुकड़ा) लेकर उसे माइक्रोस्कोप से जांचा जाता है. इस जांच से पता लगाया जाता है कि उसमें पेशेंट के शरीर के उस हिस्से में कैंसर तो नहीं है.  
बायोप्सी के प्रकार:

बायोप्सी दो प्रकार की होती है. इसका पहला प्रकार टिशू बायोप्सी है और दूसरा लिक्विड बायोप्सी है. यहां यह बात साफ होती है कि लिक्विड बायोप्सी, बायोप्सी का एक प्रकार है. 

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टिशू बायोप्सी (Tissue Biopsy): टिशू बायोप्सी में सर्जरी करके या सुई की मदद से गांठ या अंग से टिशू का सैंपल लिया जाता है. इसमें लोगों को तकलीफ होती है.

लिक्विड बायोप्सी (Liquid Biopsy): लिक्विड बायोप्सी में महज खून के सैंपल से ही जांच की जाती है कि शरीर में कैंसर के सेल्स या DNA मौजूद हैं या नहीं. यह आसान और कम तकलीफदेह तरीका है.

विस्तार से समझिए क्या होती है लिक्विड बायोप्सी:

लिक्विड बायोप्सी एक आसान ब्लड टेस्ट है, जो डॉक्टर्स को शरीर में कैंसर के बारे में जानने में मदद करता है. नॉर्मल बायोप्सी में जहां सर्जरी या सुई की मदद से ट्यूमर (बॉडी पार्ट) का एक टुकड़ा निकाला दिया जाता है, वहीं लिक्विड बायोप्सी में बस थोड़े से खून की जरूरत होती है. इसका मतलब है कि यह कम दर्दनाक, सुरक्षित और पेशेंट के लिए कैंसर के टेस्ट को बहुत आसान बना देता है. 

लिक्विड बायोप्सी टेस्ट कैसे काम करता है?

कैंसर सेल्स अपने डीएनए के छोटे-छोटे टुकड़े या यहां तक ​​कि पूरे सेल्स को खून में छोड़ते हैं. लिक्विड बायोप्सी में इनकी जांच की जाती है:

  • ctDNA (सर्कुलटिंग ट्यूमर डीएनए)- कैंसर सेल्स से आने वाला डीएनए.
  • CTCs (सर्कुलटिंग ट्यूमर सेल्स)- खून में पाई जाने वाले असली कैंसर सेल्स.
  • cfDNA (सेल-फ्री डीएनए)- इसमें नॉर्मल और कैंसर सेल्स दोनों का डीएनए शामिल होता है. 

इनका टेस्ट करके डॉक्टर्स को बहुत से परिणाम मिलते हैं, जिनसे वे कैंसर का समय रहते पता लगा पाने में सफल रहते हैं. इसके साथ ही वे यह भी जांच पाते हैं कि इलाज के बाद कैंसर वापस आया है या नहीं. इस टेस्ट से मिलने वाली जानकारी से डॉक्टर्स को कैंसर में होने वाले जैनेटिक परिवर्तनों को समझने में भी मदद मिलती है. इससे यह फायदा होता है कि वे म्यूटेशन को समझकर सही इलाज का चयन कर पाते हैं. 

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लिक्विड बायोप्सी का इस्तेमाल कैसे किया जाता है?

ट्रीटमेंट के बाद (निगरानी): यह पेशेंट की निगरानी करने में मदद करता है कि क्या कैंसर वापस आ रहा है. इसमें स्कैन में दिखने से पहले ही पता लग जाता है कि पेशेंट में कहीं फिर कैंसर के लक्षण तो नहीं हैं.

सही उपचार चुनना (प्रेसिजन ऑन्कोलॉजी): यह डॉक्टर्स को कैंसर के जीन के बारे में जरूरी जानकारी देता है. यह इसका इलाज करने के लिए सबसे अच्छी दवाई या सप्लीमेंट चुनने में मदद करता है.

स्क्रीनिंग और प्रारंभिक पहचान: लिक्विड बायोप्सी को अभी तक सभी के लिए एक सामान्य स्क्रीनिंग टूल के रूप में रिकामैंड नहीं किया गया है, लेकिन यह खास परिस्थितियों में बहुत मददगार हो सकता है.

गर्भाशय (यूट्रस) में एक मास का टुकड़ा जो फाइब्रॉएड या कैंसर हो सकता है. इस केस में लिक्विड बायोप्सी यह तय करने में मदद कर सकती है कि क्या इसके लिए एक बड़ा प्रोसीजर करने की जरूरत होगी. 

मुंह में एक संदिग्ध सफेद या लाल पैच (विशेष रूप से धूम्रपान करने वालों/तंबाकू खाने वाले लोगों में)- यह टेस्ट तय करने में मदद कर सकता है कि क्या यह कैंसर है और इसे हटाने की जरूरत है या नहीं.

हड्डियों, लीवर या फेफड़ों में अब्नॉर्मल क्षेत्र जहां नॉर्मल बायोप्सी करना जोखिम भरा हो सकता है- इस केस में ब्लड टेस्ट ज्यादा सुरक्षित होता है. 

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जब पेशेंट बायोप्सी कराने से इनकार करते हैं: कुछ मरीजों को डर लगता है कि बायोप्सी करवाने से कैंसर फैल जाएगा (जो एक मिथक है). ऐसे मामलों में, लिक्विड बायोप्सी एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है और कैंसर को जल्दी पकड़ने में मदद करके जान भी बचा सकता है.

एक और नई तकनीक

रिसर्चर्स एक ऐसा टेस्ट भी डेवलप कर रहे हैं, जो सीधे कैंसर सेल्स या डीएनए को ऑब्सर्व नहीं करेगा. इसके बजाय, यह इम्यून सिस्टम में होने वाले बदलावों पर नजर रखता है, खासकर वाइट ब्लड सेल्स(WBC) में. क्योंकि कैंसर हमारे अपने सेल्स का ही एक बुरा वर्जन है इसलिए इम्यून सिस्टम अक्सर इससे लड़ने की कोशिश करता है. यह टेस्ट ट्रैक करता है कि इम्यून सिस्टम कैसे रिएक्ट करता है और कैंसर को पहले ही पकड़ सकता है. 

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