टेक्नोलॉजी के इस युग में बच्चों को स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रख पाना बेहद मुश्किल काम होता जा रहा है. बच्चे स्क्रीन से चिपके दिखते हैं जिसका उनके शारीरिक और मानसिक सेहत पर बहुत बुरा असर हो रहा है. बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए माता-पिता का कर्तव्य है कि वो अपने बच्चों को फोन की लत न लगने दें और एक स्वस्थ वातावरण, जिसमें पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद, दोस्तों से मेलजोल शामिल हो, में बच्चे का पालन-पोषण करें. आज हम आपको कुछ टिप्स बता रहे हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चे की फोन की लत छुड़वा सकते हैं-
स्क्रीन टाइन फिक्स करें- बच्चे को अगर फोन की लत है और वो देर तक फोन से चिपका रहता है तो उसे कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं जैसे- सोने में परेशानी, दूसरों से मिलने-जुलने में परेशानी, पढ़ाई में कमजोर होना, आंखों पर असर होना, शारीरिक गतिविधि न होने से मोटापा आदि. लत छुड़ाने के लिए उसका एक स्क्रीन टाइम फिक्स करें. दिन में होमवर्क आदि करने के बाद ज्यादा से ज्यादा 30 मिनट के लिए फोन दें और बच्चा क्या देख रहा है, इस बात का ध्यान रखें. रात को सोने से पहले फोन न देखने दें.
टेक्नोलॉजी की ताकत और महत्व के बारे में बताएं- अपने बच्चे को बताएं कि टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल कितना जरूरी है. उन्हें बताएं कि इंटरनेट पर उनके लिए हानिकारक कंटेंट भी मौजूद है जिससे वो दूरी बरतें. इंटरनेट की सही जानकारी दें ताकि बच्चे में डिजिटल दुनिया की सही समझ विकसित हो और वो उसका जिम्मेदारीपूर्ण इस्तेमाल करना सीखें.
बच्चे के लिए रोल मॉडल बनें- अगर आप बच्चे को फोन के लिए मना कर खुद मोबाइल देखेंगे तो उनकी फोन की लत छुड़ाना बेहद मुश्किल होने वाला है. बच्चे जो देखते हैं, वही सीखते हैं इसलिए अपने बच्चे के लिए रोल मॉडल बनें और उनके सामने फोन न देखें. फोन देखने के बजाए उनके साथ खेलकूद में शामिल हों और क्रिएटिव काम करें. इससे बच्चे के साथ आपका रिश्ता भी मजबूत होगा.
खेलने बाहर भेजें- आजकल के एकल परिवारों में पल रहे अधिकांश बच्चे खेलने के लिए बाहर नहीं निकलते जो उनकी सेहत पर नकारात्मक असर डालता है. फोन की लत छुड़ाने के लिए अपने बच्चे को खेलने बाहर भेजें. दोस्तों के साथ उन्हें घर से बाहर जाकर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें.
क्रिएटिव एक्टिविटी को बढ़ावा दें- पुराने समय में बच्चे दादी-नानी से कहानियां सुनते थे जिससे उनके अंदर स्टोरीटेलिंग की कला विकसित होती थी. वो दूसरे बच्चों के साथ मिलकर कई तरह के क्रिएटिव खेल खेलते थे लेकिन अब ये सब धीरे-धीरे गायब हो गया है. बच्चों को किताबें पढ़ने, कहानी सुनाने, पेपर से डिजाइन बनाने और दूसरे क्रिएटिव कार्यों के लिए प्रोत्साहित करें.