How Accurate Is Your Smartwatch: आजकल के समय में हर किसी के हाथों में स्मार्टवॉच दिखाई देती है. ज्यादातर सभी लोगों द्वारा पहने जाने के कारण स्मार्टवॉच अब एक ट्रेंडी डिवाइस बन गई है. यह कॉल या मैसेज दिखाने के अलावा भी काफी काम आती है. दरअसल, स्मार्टवॉच का काम केवल टाइम, कॉल या मैसेज दिखाने का नहीं रह गया है यह अब फिटनेस ट्रैकर के रूप में भी काम करते हैं जो स्टेप्स, हार्ट रेट, नींद और बर्न की गई कैलोरी को ट्रैक करने में मदद करती हैं.
स्मार्टवॉच/फिटनेस बैंड ने मार्केट में बहुत जल्दी ही और आसानी से अपनी जगह बना ली है. इन्हें लोग घड़ी की तरह इस्तेमाल करने के बजाय फिटनेस और प्रतिदिन की गतिविधियों को मॉनिटर करने वाले डिवाइस के रूप में इस्तेमाल करते हैं. ये तो हुई इसके ट्रेंड की बात, लेकिन जब इसकी एक्युरेसी की बात आती है तो ये कंपनी और डिवाइस के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है.
स्मार्टवॉच आपके हेल्थ स्टैट्स का एक सामान्य डाटा देते हैं. वे हमेशा सटीक परिणाम नहीं दे सकतीं, खासकर जब हार्ट बीट और कैलोरी ट्रैकिंग की बात आती है तब. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्यों और आखिर ये कितने सटीक होते हैं? अगर आपने कभी भी ऐसा सोचा है तो हम आज आपको बताने वाले हैं कि आखिर आपकी स्मार्टवॉच कितना सटीक डाटा देती हैं?
कैसे काम करती है स्मार्टवॉच?
स्मार्टवॉच आपके कॉम्पलेक्स शारीरिक डेटा, जैसे हार्ट रेट, नींद और दिनभर की एक्टिविटीज जैसी चीजों को आसान करके एक डिजिट में बदल देता है. ज्यादातर हेल्थ स्कोर कई बायोमेट्रिक सिग्नल्स से डेटा खींचते हैं. इन बायोमेट्रिक सिग्नल्स में आराम करते समय आपका हार्ट रेट, दिल की धड़कनों के बीच समय में बदलाव, नींद की मात्रा, हाल ही में की गई फिजिकल एक्टिविटी और कभी-कभी ब्रीदिंग रेट, स्किन टेंप्रेचर और ब्लड ऑक्सीजन लेवल शामिल है.
ऑप्टिकल सेंसर के कारण होती गड़बड़ी
जब हम यह पढ़ते हैं कि आखिर स्मार्टवॉच कैसे और किन चीजों को आधार समझकर आपको डाटा देती है तो यह बहुत काफी मुश्किल लगता है लेकिन इतने सारे इनपुट के बाद भी जो आउटपुट सामने आता है वो उतना अधिक इनफॉर्मेटिव नहीं लगता. एक मुद्दा सेंसर की सटीकता का है. ये डिवाइस आपके शरीर के अंदर क्या चल रहा है, जैसे कि आपकी नींद या स्ट्रेस लेवल, इसका अनुमान लगाने के लिए ऑप्टिकल सेंसर और मोशन ट्रैकिंग पर निर्भर करते हैं. ऑप्टिकल सेंसर्स से हार्ट रेट को मापने में अगर छोटी से छोटी गलती होती है तो भी वह स्कोर को बिगाड़ सकती हैं.
मिक्स्ड सिग्नल्स ओवरलैप
दरअसल, ज्यादातर कंपनियां यह नहीं बताती हैं कि वे रॉ डेटा को फाइनर स्कोर में कैसे बदलती हैं. एक और मुद्दा जो इस डाटा को सकता है वह यह है कि कुछ शारीरिक सिग्नल्स ओवरलैप करते हैं. इसे समझने के लिए समझिए कि खराब नींद के बाद अक्सर हार्ट रेट में उतार-चढ़ाव होता है, स्ट्रेस का एक नॉर्मल संकेत है, लेकिन कई हेल्थ स्कोर आपको दोनों के लिए अलग-अलग पैनालाइज करते हैं. इस तरह की स्थिति आपके परिणाम को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर सकती हैं, जिससे आपका शरीर रियलिटी से कहीं ज्यादा थका हुआ दिखाई देता है.
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि नॉर्मल फिटनेस ट्रैकिंग के लिए स्मार्ट वॉच ठीक हैं लेकिन उन के डेटा को पूरी तरह सही मान लेना गलत है.