कहा जाता है कि मोहब्बत का कोई मजहब, कोई धर्म नहीं होता. लेकिन अक्सर लोग मोहब्बत और धर्म के लिए लड़ते हुए दिखाई देते हैं. अगर कौमी एकता ही सबका मकसद हो तो मोहब्बत ही सबका मजहब बन जाता है. यहां एक ही छत के नीचे हर धर्म की इबादत होती है.
Love has no language and not religion