गुजरात में हो रहे राज्यसभा की तीन सीटों के चुनाव से पहले चुनाव आयोग के नोटा (नन ऑफ द एबव) ऑप्शन के खिलाफ गुजरात कांग्रेस ने एक ओर जहां सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो वहीं दूसरी ओर संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस ने जमकर हंगामा किया. कांग्रेस की याचिका में चुनाव आयोग के 2014 के अधिसूचना को चुनौती दी गई है जिसमें राज्यसभा चुनाव में नोटा के विकल्प की अनुमति दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के 2013 के उस आदेश को आधार बनाया है जिसमें कहा गया था कि राज्यसभा जैसे अप्रत्यक्ष चुनावों में नोटा का इस्तेमाल नहीं होगा.कांग्रेस का यह हंगामा दरअसल इसलिए है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक कोई भी विधायक अपनी पार्टी द्वारा जारी किए गए व्हिप का अगर विरोध करता है या फिर क्रॉस वोटिंग करता है तो उसे 6 साल के लिए चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी जाती है. ऐसे में नोटा एक ऐसा विकल्प है जिसे अपनाने पर विधायक को सिर्फ पार्टी अपने पक्ष से बाहर कर सकती है, लेकिन उस पर चुनाव लड़ने के लिए कोई पाबंदी नहीं लग सकती है. बीजेपी की रणनीति और ये विकल्प कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल के लिए हार का सबब बन सकता है. जिसका सीधा फायदा बीजेपी प्रत्याशी बलवंत सिंह राजपूत को होगा.