
नाचनी और हरारिया से गुजरने वाली सड़क उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के बागेश्वर जिले और मुनस्यारी ब्लॉक के निवासियों के लिए लाइफ लाइन है. इस मुख्य सड़क को मरम्मत के जरिए बार बार ठीक करने वाले जमान सिंह बिष्ट को 'रीक्रिएटर' माना जाता है.
मानसून के दौरान रामगंगा नदी में बाढ़ आती है, जिससे पहाड़ी के तल पर कटाव होता है. इस वजह से अक्सर सड़क का आधा हिस्सा टूट जाता है और बाकी बचा दूसरा आधा हिस्सा बारिश और भूस्खलन से ब्लॉक हो जाता है. बारिश के मौसम में इस समस्या से यातायात रुक जाता है, और यहां तक की यात्री फंस जाते हैं. इस वजह से जीवन-यापन के लिए खाने के जरूरी सामान भी नहीं पहुंच पाते हैं.
जान जोखिम में डाल करते हैं सड़क की मरम्मत
इन सब के बावजूद 60 वर्षीय बिष्ट, सड़क को साफ करते हैं और पहाड़ियों को काटकर इसे फिर से चलने लायक रास्ता बना देते हैं. जमान सिंह बिष्ट हररिया में पिछले कई दशक से हर मानसून सीजन में ऐसा करते आ रहे हैं. वह एक्सकेवेटर ऑपरेटर (सड़क की खुदाई करने वाली मशीनयुक्त गाड़ी) हैं. बुधवार को करीब बारह घंटे तक भूस्खलन से नाचनी-हररिया मार्ग ब्लॉक रहा. नदी में सड़क का आधा हिस्सा बह गया था. इसने स्थानीय यात्रियों को अपना प्री प्लान प्रोग्राम रद्द करना पड़ा और पहाड़ पर चढ़कर नाचनी गांव के बाजार के चौराहे तक जाना होता था.
स्थानीय निवासियों के पास नहीं है कोई दूसरा विकल्प
वहीं पास के एक शैक्षणिक संस्थान में काम कर रहीं रसोइया कमला देवी ने इंडिया टुडे को बताया कि बुधवार को यहां यातायात के लिए सड़क नहीं थी. मुझे और कई अन्य लोगों को पहाड़ पर चढ़ना पड़ा, यह एक जोखिम भरा और असुरक्षित सफर था. लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. यही हमारी जिंदगी है.

उन्होंने कहा, कई लोगों को किराने का सामान खरीदना पड़ता है, तबियत बिगड़ने पर इमरजेंसी के हालात होते हैं. आपको परिवार के लिए रोटी कमाने के लिए बाहर जाना पड़ता है. हम जानते हैं कि चढ़ाई करने और नीचे आने के कई जोखिम हैं. पहाड़ और जंगल का रास्ता होकर हमें सफर तय करना पड़ता है. लेकिन हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है.
बारिश-धूप हर वक्त काम
उस दिन लगातार बारिश के बावजूद, बिष्ट और उनके सहकर्मी काम करते रहे. बिष्ट ने कहा, हमने उस दिन 12 घंटे काम किया. बारिश होने पर भी हम नहीं रुके. बिष्ट ने कहा कि हम शाम करीब छह बजे रास्ता खोलने में सफल रहे. उनके सहयोगियों ने कहा कि या तो रात में ट्रैफिक नहीं होता है, या स्थानीय लोग मौसम खराब होने पर यात्रियों को यात्रा शुरू करने से रोकते हैं.

बिष्ट और उनके सहकर्मी प्रतिदिन सुबह छह बजे भूस्खलन संभावित क्षेत्र में पहुंच जाते हैं. वे बुलडोजर और एक्सकेवेटर के जरिए सड़क को साफ करने लगते हैं. 1988 से लोक निर्माण विभाग में कार्यरत दीमन सिंह भटियाल बिष्ट के सहायक हैं. जबकि बिष्ट एक्सकेवेटर ऑपरेटर हैं, भटियाल बिष्ट को संकेत देते हैं कि कैसे और कहां चलना है, और इससे भी जरूरी बात कि कब रुकना है.
भटियाल ने बिष्ट के बारे में कहा, वह आसानी से सभी की नहीं सुनते. आपको उन्हें संभावित खतरे के बारे में संकेत देते रहना होगा. गुरुवार को जब बिष्ट एक अन्य जगह भूस्खलन क्षेत्र के पास सड़क को ठीक करने का काम कर रहे थे उसी दौरान चट्टानें और मलबा नीचे लुढ़कने लगा. भटियाल ने ही क्रू को अलर्ट किया था.