मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने मंगलवार को बड़ा फैसला किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग के गठन को मंजूरी दे दी गई है. जिससे प्रदेश के श्रमिकों की आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा पहले से ज्यादा सुदृढ़ होगी.
इस फैसले से प्रदेश के अंदर ही श्रमिकों एवं कामगारों का कौशल विकास कर रोजगार का सुलभ अवसर उपलब्ध होगा, वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी. कामगारों एवं श्रमिकों के सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा के साथ उनके सर्वांगीण विकास में इस आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.
उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग का मकसद निजी और गैर-सरकारी क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर श्रमिकों और कामगारों को उनके हुनर के अनुसार अधिकाधिक रोजगार मुहैया कराना और रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है. कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से तमाम गतिविधियां ठप हो गईं. इसका सबसे अधिक असर श्रमिकों और कामगारों पर पड़ा. सर्वाधिक आबादी होने के नाते इनमें सर्वाधिक संख्या यूपी के श्रमिकों की थी. यह प्रदेश के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी थी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर इसके वर्ग के तात्कालिक हित के लिए कई कदम (1000 रुपये का भरण-पोषण भत्ता, राशन किट, मनरेगा के तहत अधिकाधिक श्रम दिवसों का सृजन और दक्षता के अनुसार औद्योगिक इकाइयों में समायोजन आदि) उठाए गये.
मुख्यमंत्री होंगे अध्यक्ष
उच्च स्तरीय प्रशासकीय संस्था के अध्यक्ष मुख्यमंत्री या उनके द्वारा नामित कोई कैबिनेट मंत्री होगा. श्रम एवं सेवा योजन विभाग के मंत्री संयोजक, मंत्री औद्योगिक विकास एवं मंत्री सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो उपाध्यक्ष होंगे. अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त सदस्य सचिव होंगे. इसके अलावा कृषि, ग्राम विकास मंत्री, कृषि उत्पादन आयुक्त, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, श्रम एवं सेवायोजन, मुख्यमंत्री की ओर से नामित औद्योगिक एवं श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि, उनकी ओर से ही नामित उद्योगों के विकास एवं श्रमिकों के हित में रूचि रखने वाले पांच जनप्रतिनिधि और विशेष आमंत्री इसके सदस्य होंगे.
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श्रमिकों और इकाईयों के बीच फैसिलेटर की भूमिका में होगा आयोग
यह आयोग श्रमिकों और उद्योगों के बीच कड़ी का काम करेगा. इस क्रम में वह मांग के अनुसार, संबंधित इकाइयों को दक्ष श्रमिक मुहैया कराएगा. साथ ही इंडस्ट्री की मांग के अनुसार दक्षता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोग चलाएगा. प्रशिक्षण का यह अवसर औद्योगिक इकाइयों में अप्रेंटिसशिप के रूप में भी मिलेगा. अन्य राज्यों और देशों से श्रमिकों की जो मांग होगी उसमें भी आयोग फैसिलेटर की भूमिका निभाएगा. किसी भी जगह समायोजित होने वाले श्रमिक को न्यूनतम बुनियादी सुविधाएं (आवास, सामाजिक सुरक्षा, बीमा आदि) भी आयोग मुहैया कराएगा.
सेवायोजन विभाग की मदद से तैयार होगा पोर्टल
सेवायोजन विभाग की मदद से आयोग प्रदेश के सभी श्रमिकों की दक्षता का डाटा एकत्रित करेगा ताकि किसी औद्योगिक इकाई को उसकी मांग के अनुसार, ऐसे श्रमिकों को समायोजित किया जा सके.
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क्रियान्वयन पर अमल के लिए होगा बोर्ड
अपने मकसद के अनुसार आयोग काम करे इसकी निगरानी के लिए औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक बोर्ड या कार्यपरिषद भी गठित होगी. इसमें एपीसी सह-अध्यक्ष, प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव, आईआईडीसी, कृषि विभाग, पंचायती राज, लोक निर्माण, सिंचाई, नगर विकास, ग्राम्य विकास, एमएसएमई, उद्योग एवं खाद्य प्रसंस्करण, कौशल विकास सदस्य और समाज कल्याण श्रम एवं सेवायोजन सदस्य सचिव होंगे.
जिले स्तर पर भी गठित होगी समिति
आयोग और राज्य स्तरीय बोर्ड की मंशा के अनुसार काम हो रहा है, उसकी निगरानी के लिए सभी जिलों में डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति भी होगी. इसमें मुख्य विकास अधिकारी अपाध्यक्ष, जिला रोजगार सहायता अधिकारी नोडल अधिकारी सदस्य होंगे. इसके अलावा परियोजना निदेशक ग्राम्य विकास, अपर मुख्य अधिकारी पंचायत, जिला उद्यान अधिकारी, उप निदेशक कृषि, उपायुक्त उद्योग, उपायुक्त एनआरएलएम, परियोजना निदेशक सूडा, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, अपर उप सहायक श्रमायुक्त जिला स्तरीय श्रम प्रवर्तन अधिकारी इसके सदस्य होंगे.
हर माह होगी आयोग की बैठक
आयोग की बैठक हर माह होगी. इसी क्रम में बोर्ड की बैठक हर 15 दिन में और जिला स्तरीय समिति की बैठक हफ्ते में एक बार होगी. डीएम हर बैठक की रिपोर्ट से प्रदेश स्तरीय बोर्ड को अवगत कराएगा.