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डासना जेल में तिनका तिनका डासना का विमोचन, तलवार दंपति की कविता भी किताब में

यह कविता नुपुर तलवार के द्वार लिखी गई है. कविता के रुप में शब्दों के जरिए ये दर्द है एक मां का... वो मां जो अपनी उसी बेटी के कत्ल के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रही है जिसकी याद में अपने अहसासों को उसने शब्दों में पिरोया और अपनी दर्द को एक कविता का रुप दिया.

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तिनका तिनका डासना का विमोचन
तिनका तिनका डासना का विमोचन

रविवार को गाजियाबाद की डासना जेल में तिनका तिनका डासना किताब का विमोचन किया गया. यह किताब जेल सुधारक और लेखिका वर्तिका नंदा ने लिखी है जिसमें 5 कैदियों की कहानी पर फोकस किया गया है. इस किताब में आरुषि हत्याकांड के अलावा निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली की कहानी भी शामिल है. इसके साथ ही पांच बच्चों के हत्यारे पिता ट्रक ड्राइवर रविंद्र और अपनी पत्नी के कत्ल के आरोपी राजेश की कहानी का जिक्र इस किताब में है.

तिनका तिनक डासना नाम की इस किताब में वर्तिका नंदा ने किताब में वो चीजें लिखी जो अभी तक उस तरीके से सामने नहीं आ पाई थी. वर्तिका ने बताया कि आज भी कैसे हर रोज हर पल तलवार दंपति आरुषि को याद करता है, कैसे जेल में एक छोटी सी बच्ची को आरुषि की तरह ही प्यार करते हैं और उसे अपने पास सुलाते हैं. वर्तिका नंदा ने नुपुर तलवार के उस दर्द के बारे में भी बताया कि एक बार जब राजेश तलवार बीमार हो गए तो एक ही जेल में होने के बावजूद वो राजेश तलवार को मिल ना सकी.

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वर्तिका नंदा ने बताया की आरुषि के माता-पिता आज भी उम्मीद में हैं कि वो जल्द ही जेल से बाहर आएंगे, वर्तिका ने बताया कि तलवार दंपत्ति अब जेल में कविताएं लिखता है और इन कविताओं में कहीं ना कहीं उनका दर्द छलकता है. तिनका तिनका तिहाड़ में कैदियों के इसी दर्द को बाहर लाने की कोशिश की गई है. कोशिश की गई है बताने की कि कैसे सजायाफ्ता या विचाराधीन ये कैदी सलाखों के पीछे बंद हैं और किसी की उम्मीद मर चुकी है तो कोई आज भी अपनी आजादी की उम्मीद लगाए बैठा है और ऐसी ही उम्मीद तलवार दंपति को भी है.

नुपुर तलवार ने किया ट्रांसलेट
इस किताब को अग्रेज़ी में ट्रांसलेट भी नुपुर तलवार ने किया है, वर्तिका नंदा ने करीब एक साल का वक्त इस किताब को लिखने में लगाया और करीब डेढ़ महीने में नुपुर तलवार ने इसे अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया. जेल में भी आने वाली जिंदगी की उम्मीद और कई पुरानी यादों के अलावा कैदियों को किस तरह आस होती है वो सब किताब में है.

कोली की कहानी
वहीं सुरेंद्र कोली ने भी कई बातें बताई है, किताब में सुरेंद्र कोली के बारे में भी काफी कुछ लिखा गया है. सुरेद्र कोली कैसे एक अनपढ़ से धीरे धीरे पढ़ना लिखना सीखा और आज वो आरटीआई के जरिए कैसे तमाम जानकारी इकट्ठा करता है और हर वक्त जेल में वो किताबों में खोया रहता है. वर्तिका नंदा ने बताया कि जल्द उनकी एक और किताब पर काम शुरू होगा जो जेल पर ही होगी. इससे पहले वो दिल्ली की तिहाड़ जेल पर भी तिनका तिनका तिहाड़ किताब लिख चुकी है, डासना जेल में ही सोमवार को किताब का विमोचन किया गया.

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किताब में दो और लोगों की भी कहानी है जिसमें राजेश पर अपनी पत्नी के क़त्ल का इलज़ाम है, वो विदेश में काम कर चुका है. इससे पहले राजेश बैंक कर्मी भी था, वही इसके अलावा एक ट्रक ड्राइवर रविंद्र की भी कहानी इस किताब में है जिसने अपने चार मासूम बच्चों का क़त्ल कर दिया था.

पढ़िए आरुषि के बारे में लिखी गई कविता का कुछ अंश -

आरुषि - सुबह की पहली किरण

पहली किरण भोर की मेरी

जब आई मेरी दुनिया में गीत बनी वो जीवन की

बनी इबादत का हिस्सा वो

और ज्योति मेरे मन की

वो उजियारा थी जीवन की

उसको छीना हत्यारों ने

अंधियारा बन गई जिंदगी

लुट गई सारी खुशियां वो मेरी

सपने रह गए अधूरे

सिर्फ बची हैं यादें

धन्य हुई तुमको पाकर पर ,रही अधूरी सब बातें

जहां भी हो तुम्हें मिले शांति

एक मां की यह है प्रार्थना

आभारी हूं तेरे प्यार की

अब तू ही है मेरी साधना

करती हूं तेरी पूजा

तू ही मूरत मेरे मन की

आरुषि- पहली किरण भोर की

यह कविता नुपुर तलवार के द्वार लिखी गई है. कविता के रुप में शब्दों के जरिए ये दर्द है एक मां का... वो मां जो अपनी उसी बेटी के कत्ल के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रही है जिसकी याद में अपने अहसासों को उसने शब्दों में पिरोया और अपनी दर्द को एक कविता का रुप दिया.

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आरुषि के ऊपर लिखी नुपुर तलवार की ये कविता नुपुर के दर्द को बयां करती है, ये कविता बयान करती है कि कैसे आज भी तलवार दंपत्ति आरुषि की याद में तड़प रहे हैं, हर पल उसे महसूस कर रहै हैं. हर पल उसे याद कर रहे हैं और आरुषि के दूर चले जाने के दर्द के साथ जी रहे हैं लेकिन डासना जेल की चारदीवारी में कैद इन दोनों का दर्द बांटने वाला कोई नहीं, कोई है तो वो बस अकेलापन और इसी अकेले पन को अपना साथी बना तलवार दंपत्ति ने अपना कभी ना सालने वाला दर्द इन कविताओं को जरिए बयां किया है और इन कविताओं को अपनी किताब तिनका तिनका डासना में में जगह दी है वर्तिका नंदा ने.

 

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