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अयोध्या में एक बार फिर होगी कारसेवा, जनसहयोग से होगा राम मन्दिर निर्माण?

अयोध्या में राममंदिर निर्माण की जिम्मेदारी भले श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास की है लेकिन मंदिर आंदोलन की अगुआ रही विश्व हिंदू परिषद इसमें अपनी भूमिका निभाने में अभी भी पीछे नहीं हटेगा. अयोध्या में हुई परिषद के नेताओं की बैठक में ये अहम फैसले हुए.

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जल्द शुरू होगा मंदिर निर्माण
जल्द शुरू होगा मंदिर निर्माण

  • कोरोना संकट टल जाए फिर कारसेवा भी होगी और जनता चंदा भी देगी
  • अयोध्या में हुई परिषद के नेताओं की बैठक में ये अहम फैसले हुए

अयोध्या में राममंदिर निर्माण में आम भारतीय भी अपनी भूमिका तन-मन और धन से सहयोग देकर निभाएगा. यानी लोग आर्थिक और शारीरिक सहयोग से राम मंदिर बनाएंगे. विश्व हिंदू परिषद ने तय किया है कि एक बार कोरोना संकट टल जाए फिर कारसेवा भी होगी और जनता चंदा भी देगी.

अयोध्या में राममंदिर निर्माण की जिम्मेदारी भले श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास की है लेकिन मंदिर आंदोलन की अगुआ रही विश्व हिंदू परिषद इसमें अपनी भूमिका निभाने में अभी भी पीछे नहीं हटेगा. अयोध्या में हुई परिषद के नेताओं की बैठक में ये अहम फैसले हुए.

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विहिप उपाध्यक्ष और श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, बैठक तय हुआ है कि आम भारतीय को भावनात्मक रूप से श्री रामलला मंदिर निर्माण के साथ जोड़ने के लिए तन-मन-धन से जोड़ने का लक्ष्य है. हालांकि अयोध्या में रामलला के भव्य और दिव्य मंदिर निर्माण के लिए धन की कोई कमी कभी नहीं रही और भविष्य में भी नहीं होगी. लेकिन आम श्रद्धालु जनता को भावनात्मक रूप से इस ऐतिहासिक कार्य के साथ जोड़ने के लिए यह निर्णय लिया गया कि हर भारतीय दस रुपए का सहयोग करे. ताकि सबकी भागीदारी सुनिश्चित की जा सके.

मंदिर तराशे जा चुके पत्थरों से ही बनेगा

परिषद की बैठक में ये भी तय हुआ कि कोरोना संकट दूर होते ही भूमि पूजन के बाद मंदिर का औपचारिक निर्माण शुरू हो जाएगा. तब आम भारतीय यहां कार सेवा के लिए आ सकेगा. ये तय किया गया है कि इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होगा. जत्थों में उनकी ड्यूटी का शेड्यूल उनको भेजा जाएगा. कई चरणों में तस्दीक होगी. यानी अपने गांव घर से अयोध्या पहुंचने तक की रिपोर्ट मिलने के बाद ये सुनिश्चित हो जाएगा कि कारसेवक को कहां कब और कैसे सेवा करनी है.

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अयोध्या के कार सेवक पुरम में हुई बैठक में ये भी तय हुआ कि मौजूदा मॉडल के अनुरूप मंदिर बनेगा. इसके स्वरूप में विस्तार के लिए सुझाव मांगे जाएंगे. लेकिन मंदिर तराशे जा चुके पत्थरों से ही बनेगा. जोधपुर या मकराना के संगमरमर से नहीं.

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