उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में शिक्षा विभाग ने छह सौ बच्चों को मानसिक तौर पर विक्षिप्त घोषित कर दिया है. विभाग ने समेकित शिक्षा योजना के तहत किए गए हाउस होल्ड सर्वे के तहत मासूम बच्चों के भविष्य से ऐसा खिलवाड़ किया है. इस लिस्ट में अपने बच्चों के नाम आने पर अभिभावक गुस्से में हैं. डीएम ने मामले की जांच के बाद कार्रवाई किए जाने का भरोसा दिया है.
जिले में समेकित शिक्षा योजना के तहत पिछले साल छह से 14 साल तक के बच्चों का एक हाउस होल्ड सर्वे कराया गया था. इसमें शिक्षकों ने छात्र-छात्राओं का मेडिकल टेस्ट कराए बिना ही सैकड़ों बच्चों को मानसिक तौर पर विक्षिप्त लोगों की सूची में डाल दिया. विभाग द्वारा घर बैठे किए गए इस सर्वे में बेसिक शिक्षा विभाग ने उन छात्रों को मानसिक विकलांग घोषित कर दिया जो बच्चे काफी प्रतिभाशाली हैं.
'आज तक' की टीम ने स्कूलों में जाकर विभाग के इस सर्वे की हकीकत जाननी चाही. पता चला कि जिन बच्चों का नाम इस सूची में है, वो पढ़ने लिखने में सामान्य बच्चों से भी ज्यादा तेज हैं. जब बच्चों से हमारी टीम ने पढ़ाई के बारे में कुछ खास सवाल किए तो बच्चों ने बेबाक होकर राष्ट्रगान से लेकर पहाड़े और देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री के बारे में भी बताया.
सवाल उठता है कि अगर शिक्षा विभाग की रिपोर्ट सही है तो ये बच्चे इतनी जानकारी कैसे हासिल कर सकते हैं. विभाग उन तमाम बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ तो कर ही रहा है, उनकी उच्च शिक्षा में रोड़ा बनकर उन्हें कमजोर करने में भी कोई कोर कसर नही छोड़ रहा. ऐसे ही एक छात्र के पिता रवि प्रकाश ने कहा ,'मैंने जब इस बारे में सुना तो दंग रह गया क्योंकि मेरा बच्चा पढ़ने में होशियार है. इसी तरह एक छात्रा की मां मुन्नी देवी ने कहा, 'हमारी बेटी पागल नहीं है. उसका पढ़ने में बहुत मन लगता है, विभाग की रिपोर्ट गलत है.'
जब स्कूलों में मौजूद शिक्षकों से इस सूची के अन्तर्गत आने वाले छात्र छात्राओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इन मासूम बच्चों के साथ गलत किया गया है. माध्यमिक विद्यालय विटौना, कासगंज के प्रधानाचार्य अब्दुल रहूफ ने कहा, 'मेरे स्कूल में जितने बच्चे मानसिक तौर पर विक्षिप्त दिखाए गए हैं, वे सभी पढ़ने में सही है. हमने जो सर्वे किया था वो सही था लेकिन विकलांग विभाग ने मेरे स्कूल के 25 बच्चों को मानसकि विक्षिप्त करार दिया. इन बच्चों को स्कूल के अन्य बच्चे 'पागल-पागल' कहते हैं जिससे ये बच्चे हीनभावना के शिकार हो रहे हैं और यह बच्चे कभी भविष्य में गलत कदम भी उठा सकते हैं.' उन्होंने इस सूची के पीछे घपले की आशंका जाहिर की है.
डीएम मासूम अली सरवर ने कहा, 'मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच कराई जाएगी. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.