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बिहार: चुनाव नतीजों ने दिए जातीय समीकरण दरकने के संकेत

16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव के परिणाम ने बिहार से जुड़ी कई मान्यताओं को न केवल ध्वस्त कर दिया, बल्कि पुराने जातीय समीकरण के भी बदलने के संकेत दिए.

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बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और रामविलास पासवान
बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और रामविलास पासवान

16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव के परिणाम ने बिहार से जुड़ी कई मान्यताओं को न केवल ध्वस्त कर दिया, बल्कि पुराने जातीय समीकरण के भी बदलने के संकेत दिए. वैसे बिहार में जातीय समीकरण पर चुनाव लड़े जाने की बात पुरानी है, परंतु इस चुनाव के बाद यह तय हो गया है कि राजनीतिक दलों के जातीय समीकरणों की दीवारें दरक रही हैं. इससे बिहार में नए जातीय समीकरण के उभरने के संकेत भी मिल रहे हैं.

बिहार में कांग्रेस का प्रभाव कम होने के बाद बिहार की राजनीति क्षेत्रीय क्षत्रपों के इर्दगिर्द घूमती रही थी, परंतु पिछले वर्ष भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (युनाइटेड) का गठबंधन टूटने के बाद सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने नए जातीय समीकरण की तलाश करने लगे थे. ऐसे में बिहार के प्रमुख राजनीतिक दलों ने चुनाव में टिकट बंटवारे में भी अपने जातीय समीकरणों का पूरा ख्याल रखा था.

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने इस चुनाव में 17 सवर्णों को टिकट दिया और उसमें 14 जीते. तीन सवर्ण उम्मीदवार जो हारे वे निवर्तमान सांसद थे. भले ही एनडीए के अधिकांश सवर्ण प्रत्याशी चुनाव जीत गए हों, मगर जनता दल (युनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का कोई भी सवर्ण प्रत्याशी विजयी नहीं हो सका। जद (यू) ने 10 तथा राजद और कांग्रेस गठबंधन ने आठ सवर्ण जाति के प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे.

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राजद का माई (मुस्लिम-यादव) समीकरण भी इस चुनाव में दरकता नजर आया. कई ऐसी सीटें हैं जहां इन दोनों जातियों के मतदाता अधिक हैं लेकिन वहां राजद को हार का मुंह देखना पड़ा. राजद और कांग्रेस गठबंधन ने इस समीकरण को ध्यान में रखते हुए 11 यादव जाति के प्रत्याशी विभिन्न क्षेत्रों से चुनाव मैदान में उतारे थे, मगर सिर्फ दो यादव प्रत्याशी ही जीत का सेहरा पहन सके.

एनडीए ने चार यादव नेताओं को टिकट दिया था. इन सभी ने चुनाव जीतकर राजद के यादव-मुस्लिम वोटबैंक में सेंध मारने का अहसास कराया. यूपीए ने आठ मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, लेकिन कटिहार, अररिया और किशनगंज से ही उसके मुस्लिम प्रत्याशी जीत सके.

नरेंद्र मोदी के नाम पर बीजेपी से अलग हुए जेडीयू ने मुस्लिम मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश की. इसी के तहत जेडीयू ने 13 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा, मगर उसका एक भी मुस्लिम प्रत्याशी कामयाब नहीं हो सका.

माना जाता है कि जेडीयू के रणनीतिकारों को मुस्लिम मतों का भरोसा था परंतु इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली है बल्कि दूसरी तरफ बीजेपी को लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के साथ गठबंधन करना फायदे का सौदा प्रतीत हुआ लगता है.

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एनडीए ने सभी सुरक्षित सीटों पर जीत का परचम लहराया है. गोपालगंज, सासाराम और गया जहां बीजेपी के पक्ष में आया वहीं हाजीपुर, जमुई, समस्तीपुर से लोजपा के प्रत्याशी विजयी हुए हैं. इसी तरह एनडीए से कुशवाहा जाति के दो उम्मीदवार विजयी हुए हैं वहीं अति पिछड़े जाति के भी तीन प्रत्याशी चुनाव जीते हैं.

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